औरैया। कोरोना काल के बाद प्राइवेट मांटेसरी खुलते ही विद्यालयों में संचालकों की इन दिनों पौ बारह है। विद्यालयों के संचालक अभिभावकों का जमकर शोषण कर रहे हैं। कापी, किताबों व यूनिफॉर्म के अलावा टीसी के नाम पर भी धन उगाही की जा रही है। इसके साथ ही शासनादेश को धता बताकर मनमाफिक शुल्क वसूला जा रहा है। जिससे अभिभावक काफी परेशान है।
कोविड-19 के चलते कमोबेश 2 वर्ष से शिक्षा व्यवस्था चौपट हो चुकी है, वही विद्यालय खुलने को लेकर अभिभावक अपने बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए आशान्वित हैं। शासनादेश के उपरांत विद्यालय खुलते ही विद्यालय संचालकों ने एडमिशन के नाम पर धन उगाही शुरू कर दी है। विभिन्न मांटेसरी विद्यालयों में टीसी मांगे जाने पर पहले तो आनाकानी की जाती हैं।
यदि देने को भी राजी होते हैं तो अभिभावकों से मुंह मांगे पैसे देने को कहा जाता है। इसके साथ ही एडमिशन के नाम पर धन उगाही हो रही है, तथा मनमानी फीस मांगी जा रही है। कुछ विद्यालयों में शुल्क लेने के बावजूद बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा नहीं दी जाती है। स्कूल संचालकों द्वारा बताई गई दुकानदार पर ही कापी- किताबें व यूनिफार्म लेनी पड़ती है।
स्कूल ड्रेस के नाम पर दुकानदारो से प्राइवेट विद्यालयों के संचालक मोटा कमीशन लेते हैं। जबकि कुछ स्कूलों के अंदर ही अभिभावकों को पुस्तकें लेनी पड़ती हैं। पुस्तकों का एक सेट 2 हजार से 5 हजार रुपए में दिया जाता है। शहर के अधिकांश विद्यालयों में इसी तरह से ही अभिभावकों का शोषण हो रहा है।
शहर के गणमान्य लोगों ने जिलाधिकारी से स्कूलों का शोषण बन्द करवाने की मांग की है। इस संबंध में बेसिक शिक्षाधिकारी चंदना राम इकबाल यादव से दूरभाष के माध्यम से जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि कोई भी विद्यालय संचालक शासनादेश के नियमानुसार ही शुल्क ले सकता है, अधिक शुल्क लेने का अधिकार किसी को नहीं है। मांटेसरी विद्यालयों में जो धन उगाही हो रही है उसके विषय में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर