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काशी के कुंडो-तालाब का हुआ जीर्णोंद्धार

  • योगी सरकार ने दिलाया ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व वाले कुंडो-तालाबों को पौराणिक पहचान।
  • तालाब व कुंड भूगर्भ जल की स्थिति सामान्य बनाए रखने में करती है मदद।
  • पहले की सरकारे इन कुंडों -तालाबों के धार्मिक महत्व व नैसर्गिक गुणों समझ नहीं पाई।
  • नदेसर तालाब व सोनभद्र तालाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 दिसंबर को जनता को करेंगे समर्पित। 

काशी में जहाँ गंगा का धार्मिक महत्व है ,वहीं काशी के प्राचीन तालाबों कुंडो का भी अपना विशेष महत्त्व है। भूजल प्रबंधन में तालाब व कुंड में संचित जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। पूर्व के सरकारों के ध्यान न देने से ,समय के साथ या तो तालाब पटते चले गए या इनकी दशा ख़राब होती चली गई। योगी सरकार ने तालाबों की सुध ली है। और अब इन तालाबों को नया जीवन मिल रहा हैं। नदेसर तालाब व सोनभद्र तालाब के हुए जीर्णोद्धार के बाद  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 दिसंबर को करेंगे लोकार्पण।

काशी के प्राचीन तालाबों व कुंडो का विशेष धार्मिक महत्त्व है। वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी इलाके सभी क्षेत्रों में तालाब व कुंड भूगर्भ जल की स्थिति सामान्य बनाए रखने में मदद करते है। जिसके चलते  काशी में कभी जल का संकट नहीं गहराया। धार्मिक,पौराणिक व ऐतिहासिक मान्यता वाले तालाब व कुंड काशी के लगभग सभी इलाकों में है। पहले  की सरकारे इन कुंडों -तालाबों का धार्मिक महत्व व नैसर्गिक गुण समझ नहीं पाई थी। जिसके चलते दिन पर दिन इनकी हालात बत्तर होती चली गई। तालाबों में पानी की कमी होती चली गई। तालाब सूखते चले गए। तालाबों  में लगी सीढ़ियां या धसती व टूटती गई। कुंडो -तालाबों का सौंदर्यीकरण खत्म होता चला गया।

योगी सरकार अब इन जल स्रोतों को एक बार फिर पुरानी रंगत में लाने लगी है। योगी सरकार चाहती है जिन धार्मिक व सामाजिक उद्देश्यों के लिए ये तालाब -कुंड बने थे ,उसकी सार्थकता दुबारा क़याम हो। जिससे पानी का संचय व जलस्तर भी भविष्य में बना रहे।

स्मार्ट सिटी के सीजीएम डॉ. डी वासुदेवन  ने बताया की 4.40 करोड़ की लागत से  कुंडो व तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा रहा जिसमे नदेस र तालाब 3.02 करोब व सोनभद्र तालाब 1.38 करोड़ में जीर्णोद्धर एवं पुनर्विकास हुआ है। इन सभी तालाबों का अपना विशेष महत्त्व हैं। सभी तालाबों व कुंडो को हेरिटेज लुक दिया गया है। तालाबों की टूटी व धंसी सीढ़ियों की जगह चुनार के पत्थर से बनी सीढिया लगाई गई है। चुनार के ग़ुलाबी पत्थरों से  नक़्क़ाशीदार दीवारे बनाई गई है। राहगीरों के बैठने के लिए आरामदायक बेंच लगाए गए है।

तालाबों के आस पास औषधि गुणों के साथ ही सुन्दर बगीचे लगे है। कुंड व तालाबों में जमी गन्दगी को निकाल कर, साफ़ पानी भरा गया है। रैम्प का निर्माण व  पाथ वे बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि तालाब व कुंडो के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्वों को संजोते हुए इनका विकास किया गया है। इस बात का भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है,की किसी भी धरोहर का मूल स्वरुप न बिगड़ने पाए। इसी तर्ज पर वाराणसी के अन्य तालाबों को भी तराश कर ख़ूबसूरत व उपयोगी बनाया  जा रहा है

रिपोर्ट-संजय गुप्ता

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