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आचार्य द्विवेदी के रास्ते पर चलकर ही बनेगी हिंदी संसार की भाषा

● विश्व हिंदी दिवस आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति की अमेरिकी इकाई की प्रथम वर्षगांठ के रूप में मनाया गया।
● वर्तमान में द्विवेदी युग की प्रासंगिकता विषय पर परिचर्चा में पद्मश्री प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित और कुलपति प्रो. प्रकाश मणि त्रिपाठी ने व्यक्त किए विचार।

रायबरेली। विश्व हिंदी दिवस सोमवार को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति अमेरिकी इकाई की प्रथम वर्षगांठ के रूप में ऑनलाइन मनाया गया। इस अवसर पर ‘वर्तमान में द्विवेदी युग की प्रासंगिकता’ विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई।

परिचर्चा में बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित ने आचार्य द्विवेदी के हिंदी को दिए गए योगदान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि आचार्य द्विवेदी ने साहित्य को अनुशासन दिया। भाषा का परिष्कार किया और राष्ट्रीय स्तर के कवि साहित्यकार दिए। हिंदी साहित्य में दलित और स्त्री विमर्श उन्हीं की देन है। सरस्वती में हीरा डॉन की कविता छाप कर उन्होंने दलितों को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान किया। हिंदी भाषा को दिया गया उनका योगदान आज भी प्रासंगिक है। उनके बताए रास्ते पर चलकर ही हिंदी को विश्व भाषा बनाया जा सकता है।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय (अमरकंटक) के कुलपति प्रोफ़ेसर प्रकाश मणि त्रिपाठी ने विश्व हिंदी दिवस पर हिंदी के संसार की भाषा बनने की कामना करते हुए कहा कि आचार्य जी समग्र रूप से साहित्यिक विचारक चिंतक और निर्माता थे। सामान्य परिवार और पृष्ठभूमि से निकलकर वह स्वाध्याय से निखरते गए। स्वाध्याय के बल पर संस्कृत अंग्रेजी गुजराती मराठी भाषा सीखकर बहुभाषाविद् और हिंदी के महावीर बने। उन्होंने रास्ते बनाया, सुझाया और सिखाया भी। उन्होंने कहा कि आचार्य द्विवेदी पथ प्रदर्शक थे। उनके बताए हुए रास्ते पर चलकर ही हम हिंदी को आने वाले दिनों में विचार, व्यवहार, बाजार, ज्ञान और विज्ञान की भाषा बना सकते हैं।

अमेरिकी इकाई की अध्यक्ष श्रीमती मंजु मिश्रा ने सभी का स्वागत करते हुए एक वर्ष का लेखा जोखा और भविष्य की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि समिति का दायरा अन्य देशों में भी बढ़ाया जाएगा। विदेशों में रह रहे भारतीयों के बच्चों में समय-समय पर हिंदी के प्रति प्रेम को जागृत करते रहेंगे। आभार भारत इकाई के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने व्यक्त किया।

कार्यक्रम की शुरुआत शिकागो में रह रही अयाति ओझा की सरस्वती वंदना और ऑनलाइन दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। संचालन श्रीमती रचना श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में प्रवासी भारतीय प्रोफेसर नीलू गुप्ता, श्रीमती कुसुम नैपसिक, श्रीमती शुभ्रा ओझा, अनुराग (कैलिफोर्निया), दिनेश कुमार माली (ओडिशा), प्रो. एके शुक्ला (बांदा), आनंद स्वरूप श्रीवास्तव, रितु प्रिया खरे, आशुतोष त्रिवेदी, विनय विक्रम सिंह नोएडा, पत्रकार संजीव कुमार नई दिल्ली, कवियत्री रश्मि श्रीवास्तव लहर एवं स्नेहलता (लखनऊ), डॉ. राहुल मिश्रा (लद्दाख), डॉ. वैशाली चंद्रा, हरीश दर्शन शर्मा (रतलाम), हरिश्चंद्र त्रिपाठी, डीके पांडे आदि ने भाग लिया।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्र

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