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कौन है बीजेपी में बगावत की स्क्रिप्ट का राइटर 

संजय सक्सेना
         संजय सक्सेना

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जब दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता पहले और दूसरे चरण के विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की लिस्ट फाइनल कर रहे थे तभी उत्तर प्रदेश में कोई  बीजेपी के अंदर बगावत की नई स्क्रिप्ट लिख रहा था. दिल्ली में बीजेपी के दिक्कत नेता प्रत्याशियों के टिकट फाइनल भी नहीं कर पाए थे कि लखनऊ से लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में यूपी सरकार के मंत्रियों और विधायकों ने इस्तीफो की झड़ी लगा दी. 24 घंटे के भीतर योगी सरकार के दो मंत्रियों सहित उनके समर्थक विधायकों  के इस्तीफे ने सियासत में हलचल पैदा कर दी तो  बीजेपी बैकफुट पर नजर आने लगी।

पहले स्वामी प्रसाद मौर्य और फिर अगले दिन दारा सिंह ने भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। इन नेताओं ने पार्टी ही नहीं छोड़ी बल्कि ऐसा ताना-बाना बुना है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि बीजेपी पिछड़ों के लिए खलनायक साबित हो रही है. वह पिछड़ों को उनके अधिकारों से वंचित कर रही है.

इससे  बीजेपी को कितना नुकसान होगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन राजनीतिक गलियारों में अब दोनों नेताओं स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह की चिट्ठी में मैच करती एक जैसी भाषा को लेकर नई बहस छिड़ गई है है। भाजपा छोड़ने से लेकर समाजवादी पार्टी में शामिल होने तक दोनों नेताओं की की बॉडी लैंग्वेज और बीजेपी के खिलाफ भाषा एक जैसी नजर आई।

मंत्री और विभाग के नाम को छोड़ दें तो दोनों नेताओं ने राज्यपाल को भेजे त्यागपत्र में एक जैसी बातें ही लिखी हैं।  11 जनवरी  को स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंत्री पद से इस्तीफे के बाद जिस तरह से अखिलेश के साथ फोटो खिंचवाई थी, ठीक उसी तरह दूसरे दिन 12 जनवरी को दारा सिंह भी इस्तीफा देने के बाद अखिलेश से मुलाकात करने पहुंचे और उनके साथ फोटो खिंचवाई। दोनों नेताओं ने अखिलेश के साथ फोटो भी एक ही जगह पर खड़े होकर  खिंचवाई। उधर सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी दोनों नेताओं से मुलाकात के बाद एक ही अंदाज में बीजेपी छोड़ने वाले दोनों नेताओं के साथ फोटो को अपने ट्वीटर हैंडल से ट्विट कर चुके हैं। अखिलेश  ने भी दोनों नेताओं का करीब-करीब एक जैसे ट्विट करके सपा में स्वागत किया। आपको बता दें कि दो मंत्रियों के अलावा तीन विधायक भी भाजपा छोड़कर सपा का दामन थाम चुके हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघिमत्रा मौर्य के भी भाजपा छोड़ने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन संघमित्रा ने इस पर विराम लगा दिया था। उन्होंने कहा था कि वह फिलहाल भाजपा में हैं और वहीं रहेंगी।
खैर, स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह के  मंत्री पद छोड़ने के दौरान दोनों की एक जैसे हाव-भाव और राज्यपाल आनंदीबेन को लिखे पत्र की भाषा में एकरूपता काफी कुछ कह रही है  दोनों ने ही अपने इस्तीफे का कारण दलितों-पिछड़ों की अनदेखी बताया है। दारा सिंह चौहान ने एक कदम आगे बढ़कर इसे पिछडों-दलितों के आरक्षण से भी जोड़ दिया।  ऐसे में स्वामी कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने भी भाजपा सरकार पर अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ों के आरक्षण से छेड़छाड़ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आरक्षित पदों पर सामान्य लोगों की भर्ती की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेजों में ऐसा ही किया है। सरकारी संस्थानों को निजी क्षेत्र में दिया जा रहा है।  इसका सीधा असर दलितों-पिछडों के आरक्षण पर पड़ेगा। सांसद पुत्री संघमित्रा के पिता द्वारा अभी भाजपा न छोड़ने के सवाल पर कहा कि अभी इंतजार करिए धार देखिए और धार की वार देखिए। 14 को सब साफ हो जाएगा।
राज्यपाल को भेजे अपने इस्तीफे वाले पत्र में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि महोदय, माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के मंत्रिमंडल में श्रम एवं सेवायोजन एवं समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों और विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वाहन किया है किंतु दलितों, पिछड़ों, किसानों बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से मैं इस्तीफा देता हूं।
उधर,दारा सिंह चौहान  द्वारा राज्यपाल को भेजे त्यागपत्र में दारा सिंह ने लिखा, मैंने पूरे मनोयोग से अपने विभाग की बेहतरी के लिए काम किया, लेकिन योगी सरकार की पिछड़ों, वंचितों, दलितों, किसानों और बेरोजगार नौजवानों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के साथ-साथ पिछड़ों और दलितों के आरक्षण के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है, उससे आहत होकर मैं उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे रहा हूं।
राज्यपाल को भेजे अपने इस्तीफे में मंत्री ने कहा, महोदय, माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के मंत्रिमंडल में श्रम एवं सेवायोजन एवं समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों और विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वाहन किया है किंतु दलितों, पिछड़ों, किसानों बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से मैं इस्तीफा देता हूं।
बहरहाल बीजेपी आलाकमान अब सचेत हो गया है. और वह हर उस नेता से बात कर रहा है जो नाराज लग रहा है, जिसके पार्टी छोड़ने की चर्चा है. वैसे जानकारों का कहना है कि अभी इसमें और भी तेजी आएगी.जब टिकट के बंटवारे का फैसला हो जाएगा तो कई दलों के नेता टिकट ना मिलने की सूरत में इधर उधर-भाग या   बगावत कर सकते हैं.

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