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22 मार्च तक चलेगा सघन टीबी रोगी खोजो अभियान, 268 टीमें 20 % आबादी में खोजेंगी टीबी के मरीज- डॉ. एपी मिश्रा

अभियान की सफलता के लिए विभाग और जिला क्षय रोग केंद्र ने तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। अभियान के दौरान प्रमुख रूप से घनी आबादी, मलिन बस्ती, ईंट-भट्टे, दूर दराज के क्षेत्रों, अनाथालय, बंदीगृह, अल्पसंख्यक समुदाय पर पूरा ज़ोर दिया जाएगा, क्योंकि इन जगहों पर टीबी मरीजों के मिलने की संभावना अधिक रहती है।

  • Published by- @MrAnshulGaurav Written by ShivPratapSinghSengar
  • Monday, 07 Febraury, 2022

कानपुर। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के हत घर-घर सक्रिय क्षय रोगी खोजने के लिए जनपद में, बुधवार से, सघन टीबी रोगी खोजो अभियान (Active Case Finding- ACF) की शुरुआत हो रही है। 10 लाख आबादी के बीच क्षय रोगियों के खोजने का लक्ष्य निर्धारित है। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर क्षय रोगियों की खोज करेगी। व्यक्ति में टीबी की पुष्टि होते ही उपचार शुरू हो जाएगा।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.एपी मिश्रा ने बताया कि अभियान 9 से लेकर 22 मार्च तक चलेगा। अभियान की सफलता के लिए विभाग और जिला क्षय रोग केंद्र ने तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। अभियान के दौरान प्रमुख रूप से घनी आबादी, मलिन बस्ती, ईंट-भट्टे, दूर दराज के क्षेत्रों, अनाथालय, बंदीगृह, अल्पसंख्यक समुदाय पर पूरा ज़ोर दिया जाएगा, क्योंकि इन जगहों पर टीबी मरीजों के मिलने की संभावना अधिक रहती है। इस बार जनपद की कुल आबादी में से 10 लाख आबादी के बीच संभावित टीबी रोगी खोजे जाएंगे। इसके लिए घरों में 268 टीमें दस्तक देंगी। इन टीमों की निगरानी को 48 सुपरवाइजर और 50 मेडिकल ऑफिसर लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान प्रत्येक ब्लाक के एमओआईसी टीमों की निगरानी करेंगे। 48 सुपरवाइजर भी इस काम में लगाए गए हैं। आशा, आंगनबाड़ी और एएनएम को इस कार्य में लगाया गया है।

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने के अभियान में काम कर रही है। टीबी एक संक्रामक रोग है जो तेजी से फैलता है। सरकारी अस्पतालों में पहले कि अपेक्षा अब टीबी का अच्छा उपचार उपलब्ध है। मरीज को टीबी की पुष्टि होते ही नियमित तौर पर दवा का सेवन करते हुए डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। इलाज में हीलाहवाली की वजह से टीबी रोग बिगड़ जाता है, जिससे मरीज की दिक्कत बढ़ जाती है। लगातार दवा का सेवन करने से टीबी को हराया जा सकता है। टीबी रोगियों को खानपान के लिए शासन द्वारा निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपए भी प्रदान किए जाते हैं, जो इलाज की अवधि के दौरान प्रत्येक माह खाते में भेजे जाते हैं।

जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया कि संभावित मरीजों की माइक्रोस्कोपी एवं ट्रूनेट से जांच की जाएगी। पॉजिटिव मरीज का ब्लड शुगर, एचआईवी की जांच के बाद निक्षय पोर्टल पर उसका पंजीकरण कर दिया जाएगा। ऐसे मरीजों को जब तक इलाज चलेगा, तब तक हर महीने पांच सौ रुपये प्रतिमाह के हिसाब से उसके खाते में भेजे जाएंगे। ऐसे लक्षण दिखें तो हो जाएँ सावधान – दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना और भूख न लगना टीबी के सामान्य लक्षण हैं । ऐसे लक्षणों वाले लोगों को टीबी की जांच अवश्य करानी चाहिए। जांच में टीबी की पुष्टि होने पर दवा का पूरा कोर्स करने से टीबी से जल्द से जल्द मुक्ति मिल सकती है।

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