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नाका गुरुद्वारा में साहिब श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी महाराज का गुरू गद्दी दिवस मनाया गया

लखनऊ। ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू सिंह सभा, नाका हिंडोला में सोमवार को सायं के दीवान में बन्दी छोड़ दाता, मीरी पीरी के मालिक सिखों के छठे गुरु साहिब श्री गुरु हरिगोबिन्द जी का गुरू गद्दी दिवस बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।

सायं का दीवान श्री रहिरास साहिब के पाठ उपरान्त रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह ने अपनी मधुरवाणी में “पंज पिआले पंज पीर छठमु पीरु बैठा गुर भारी। अरजन काइआ पलटि कै मूरति हरिगोबिन्द सवारी।” शबद कीर्तन गायन किया। ज्ञानी सुच्चा सिंह पटियाला वालों ने गुरू गद्दी दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बन्दी छोड़ दाता, मीरी पीरी के मालिक साहिब श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी का जन्म श्री गुरु अरजन देव जी व माता गंगा जी के घर श्री अमृतसर में हुआ था।

श्री गुरु अरजन देव जी की शहीदी के बाद 11 वर्ष की उम्र में धन-धन बाबा बुड्ढा जी ने आपको गुरु गद्दी तिलक लगाया आप 38 वर्ष तक गद्दी पर विराजमान रहे आपने दो तलवारें धारण की एक मीरी की और एक पीरी की। मीरी का मतलब बादशाहत, ताकत, शक्ति, भाव जो लोग दुनिया में जुल्म कर रहे है मैं मीरी की तलवार पहन कर उन्हें जुल्म करने से रोकूँगा और पीरी का मतलब जो लोग पीर फकीर धर्मी बनकर पाप कर रहे हैं, मै उनके पाप को प्रकट करुंगा व सच्चे धर्माथियों की रक्षा करुंगा। जहाँ श्री गुरु अरजन देव जी ने श्री अमृतसर में हरिमन्दिर साहिब की सर्जना की जो भक्ति का प्रतीक है, वहाँ श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी ने ठीक हरिमन्दिर साहिब के सामने अकाल तख्त की सर्जना की जो शक्ति का प्रतीक है।

गुरु जी ने दुनिया के भले के लिये पानी की कमी को देखकर जगह-जगह कुएं खुदवाये और ऊँच नीच के भेदभाव को खत्म किया। गुरु जी की दिन प्रतिदिन बढ़ती ताकत को देखकर जुल्म का शिकार हुए ईर्ष्यालु सहन न कर सके व गुरु जी को ग्वालियर के किले में बन्द कर दिया। जहाँ जहाँगीर के सताये हुए 52 हिन्दू राजा भी कैद थे जिनका राजपाट जहाँगीर ने अपने कब्जे में कर लिया था, पर कुछ समय बाद जहाँगीर ने गुरु जी को मुक्त करने का आदेश दिया। गुरु जी ने कहा हम अकेले किले से बाहर नहीं जायेंगे। अगर हमें रिहा करना है तो इन 52 हिन्दू राजाओं को भी रिहा करना होगा। जहाँगीर को गुरु जी की शर्त माननी पड़ी। इस तरह गुरु जीे उन 52 हिन्दू राजाओं को लेकर किले से बाहर निकले और उनका राजपाट वापस दिलवाया। तभी से गुरु जी को ‘‘बन्दी छोड़ दाता’’ भी कहा जाता है।

दीवान की समाप्ति पर लखनऊ गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी एवं ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने समूह संगत को साहिब श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी महाराज के गुरू गद्दी दिवस की बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। हरमिन्दर सिंह टीटू एवं हरविन्दर पाल सिंह नीटा की देखरेख में पुलाव का लंगर दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों ने वितरण गया।

रिपोर्ट-दयाशंकर चौधरी

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