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नई शिक्षा नीति पर प्रगति

डॉ दिलीप अग्निहोत्री
  डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

आजादी का अमृत महोत्सव का उद्देश्य प्रमुख अवसरों पर कार्यक्रम का आयोजन मात्र नहीं है। बल्कि इसमें देश के समग्र विकास का विचार भी समाहित है। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की अनेक योजनाओं का शुभारंभ अमृत महोत्सव के अंतर्गत ही किया था। इसमें पचहत्तर हजार गरीबों को घर की चाभी सौंपने का कार्यक्रम भी शामिल था। इसी प्रकार नई शिक्षा नीति का भी अमृत महोत्सव की भावना के अनुरूप क्रियान्वयन किया जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हैं।नागरिकों के पास भारत को आगे ले जाने  की इच्छाशक्ति है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से भारत के शैक्षिक क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन है। अगले पच्चीस वर्षों के लिए मार्ग प्रशस्त करने की उम्मीद है। शिक्षा से हम में से प्रत्येक को अधिक जिम्मेदार और वैश्विक नागरिक बनना होगा।

शिक्षकों के प्रयासों को सम्मान मिल रहा है। शिक्षा में नवाचार की संभावना बढ़ी है। शिक्षण संस्थानों को वैश्विक स्तर पर उच्च शिक्षा की लगातार बदलती जरूरतों के लिए खुद को अपडेट रखने के लिए प्रोत्साहित करना है। ज्ञान समाज के लिए प्रभावी रूप से योगदान करना है। धर्मेंद्र प्रधान उत्तर प्रदेश के प्रभारी भी है। कुछ समय के अंतराल पर वह दूसरी बार लखनऊ आये।

यहां उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा के साथ उनकी बैठक हुई। जिसमें नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर विचार किया गया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने बेहतर काम किया। शिक्षा देने के साथ स्किल डेवलपमेंट का भी काम किया है।

देश की स्कूली शिक्षा में उत्तर प्रदेश की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। देश में नई पीढ़ी को वर्तमान सदी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई गई है। अब अब यूपी के अधिकारियों को दिल्ली बुलाकर बदलाव के लिए आवश्यक चीजें उपलब्ध कराएंगे। डॉ दिनेश शर्मा ने भी कहा कि उत्तर प्रदेश ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। प्रत्येक बच्चे में कोई ना कोई प्रतिभा होती है। इसको पहचानना आवश्यक है। इसी के अनुरूप उनको अवसर प्रदान करना चाहिये। कौशल विकास का यही उद्देश्य है।

नई शिक्षा नीति में बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर भी ध्यान दिया गया। अध्यापक बच्चों का चेहरा पहचानते है। लेकिन उनके भीतर छिपी प्रतिभा की ओर ध्यान नहीं जाता। इसके प्रति जागरूकता आवश्यक है। इसमें अभिभावक शिक्षक व अन्य संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। सब लोग अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करें तो बच्चों को अवसर मिलेगा। इससे भारत को पुनः विश्व गुरु बनाना संभव होगा। नई शिक्षा नीति का यही उद्देश्य है। नई शिक्षा नीति में कौशल विकास को समाहित किया गया है। इसके माध्यम से बच्चों को समर्थ व स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। स्कूली बच्चों को असाधारण कौशल आधारित शिक्षा प्रदान करना आवश्यक है। उत्तर प्रदेश में भी  बच्चों की क्षमता व रुचि के अनुरूप कौशल विकास की कार्य योजना बनाई गई है।

राज्य सरकार सार्वजनिक शिक्षा में अविश्वसनीय प्रगति कर रही है। बच्चों के विशिष्ट कौशल सेट को पहचानने और उन्हें सही शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करने की व्यवस्था नई शिक्षा नीति में कई गई है। यह सहयोगात्मक प्रयास राज्य में बड़ी संख्या में बच्चों को अपनी प्रतिभा को अपनी पूरी क्षमता से तलाशने के लिए प्रेरित करेगा। बढ़ते क्षितिज के साथ बच्चों को कल के करियर के लिए तैयार करने के लिए कौशल आधारित शिक्षा में उच्चतम संभव मानक से परिचित कराना चाहिए। राज्य अपनी मानव संसाधन क्षमता के साथ विकसित होता है। इक्कीसवीं सदी के करियर की तैयारी पर ध्यान देने के साथ सरकारी स्कूलों में ज्ञान वर्धित कौशल आधारित पाठ्यक्रम बनाने में इस ऊर्जा का उपयोग करना है। स्कूली शिक्षा को बढ़ाने पर उत्तर प्रदेश सरकार का ध्यान है। देश में शिक्षा को बढाते हुए लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास चल रहा है।

बच्चों को उनकी क्षमताओं को खोजने आत्मविश्वास से सामाजिककरण और उनकी तर्कसंगत सोच को बढ़ावा देने की कार्ययोजना पर अमल किया जा रहा है। विशेषज्ञों और छात्रों के बीच सहज तालमेल इस कार्य को आगे बढ़ाएगा। बच्चों के भविष्य के लिए तैयार होने के कौशल का सम्मान करना आवश्यक है। बच्चों को सीखने के विकल्पों के संपर्क में लाने,अंतर अनुशासनात्मक तरीके से सोचने के लिए सक्षम बनाने और उन्हें लोकप्रिय राय से परे करियर विकल्प बनाने में मदद की जा रही है। शिक्षकों और बच्चों दोनों की जरूरतों का ध्यान रखा गया है। व्यक्तित्व विकास, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कला और शिल्प, स्वास्थ्य और स्वास्थ्य, प्रदर्शन कला, भाषा, उभरती प्रौद्योगिकियों और उद्यमिता से संबंधित क्षेत्रों संभावनाओं की कमी नहीं है।

नई शिक्षा नीति पर आधारित नियमित कार्यशालाओं वेबिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। धर्मेन्द्र प्रधान ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के योगदान सराहनीय व सकारात्मक बताया।  राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में भी उत्तर प्रदेश की भूमिका अग्रणी है। उत्तर प्रदेश में मेधावी छात्र छात्राओं के नाम पर गौरव पथ बनाने का काम प्रेरणादायक है। यह काम शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक भी करेगा। इसे पूरे देश में लागू करने की जरूरत बताई। उत्तर प्रदेश में एनसीसी में गर्ल्स स्टूडेंट की बड़ी सहभागिता, एनसीईआरटी की सस्ती किताबें उपलब्ध कराना और फीस रेगुलेशन एक्ट लागू करना भी सराहनीय है।

स्कूली शिक्षा को लेकर योगी जी की सरकार ने बहुत बड़ा कदम उठाया है। यहां के छात्रों को मिलने वाली किताबों को सहज बनाने के लिए यूपी सरकार और एनसीईआरटी ने मिलकर काफी सस्ते दर पर उपलब्ध कराई जा हैं। उत्तर प्रदेश ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सही मायने में क्रियान्वयन किया। यहां पर देश की आबादी के करीब अठारह प्रतिशत विद्यार्थी हैं। इनकी संख्या भी करीब पांच करोड़ की है। यहां पर लगातार शिक्षा के स्तर में सुधार हो रहा है। उत्तर प्रदेश से ही देश में गुड गवर्नेंस और सुशासन का सन्देश पहुंच रहा है।

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