प्रजातंत्र में सरकारों का बदलाव स्वाभाविक है. लेकिन व्यवस्था को बदलना एक कठिन प्रक्रिया होती है. नरेंद्र मोदी ने इस मुश्किल कार्य को भी संभाव कर दिखाया है.व्यवस्था में बदलाव के कारण ऐसी अनेक समस्याओं का समाधान हुआ, जिनके संबंध में पिछली सरकारों का कल्पना करना भी मुश्किल था. नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात की व्यवस्था को बदल दिया था. इससे ज़न आकांक्षा पूरी हुई.इस लिए उनको लगातर जनादेश मिलता रहा. यह कार्य उन्होंने प्रधानमन्त्री बनाने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर किया. केंद्र में भी उन्हें लगातर दूसरी बार भारी बहुमत मिला.व्यवस्था में कमजोरी को तत्कालीन प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने स्वीकार किया था. उनका कहना था कि केंद्र से सौ पैसे भेजे जाते है.
लेकिन जरुरतमंदों तक मात्र पंद्रह पैसे पहुँचते है. य़ह नरेंद्र मोदी की इच्छाशक्ति थी, उन्होंने शतप्रतिशत पैसा जरुरतमंदों के बैंक खातों में पहुँचना सुनिश्चित कर दिया. उन्होंने आठ वर्ष पूर्ण होने के अवसर को भी इस सौगात से जोड़ दिया. नरेन्द्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत वित्तीय लाभ की ग्यारहवीं किस्त जारी की. इससे दस करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को इक्कीस हार करोड़ रुपये की राशि अंतरित हुई. य़ह उनकी कार्यशैली है. वह ऐसे अवसरों को भी ज़न कल्याण से जोड़ देते है.
नरेंद्र मोदी अपने संवैधानिक दायित्वों के प्रति समर्पित रहे है. मुख्यमंत्री और उसके प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने दो दशक से अधिक पूर्ण किये. इस पूरी अवधि में उन्होंने एक दिन का भी अवकाश नहीं लिया. बड़े त्योहारों पर जब सर्वत्र अवकाश रहता है, उसमें भी मोदी कहीं सुदूर सैनिकों के बीच चले जाते है। उनका उत्साह वर्धन करते है. उनके साथ त्योहार की खुशियां बांटते है। वह जानते है कि ये सैनिक अपने परिवार से दूर देश की सीमाओं को सुरक्षति रखने में लगे है. आठ वर्ष पूरे होने के अवसर पर भी वह जनता के बीच पहुँच गए. प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेतृत्व वाली सरकार के आठ साल पूरे होने पर शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में आयोजित गरीब कल्याण सम्मेलन को संबोधित कर अपनी बात रख रहे थे।
उन्होंने कहा कि जब हमारी सरकार अपने आठ वर्ष पूरे कर रही है, तो मैं अपना संकल्प फिर दोहराउंगा। हर भारतवासी के सम्मान के लिए, हर भारतवासी की सुरक्षा, हर भारतवासी की समृद्धि के लिए, सुख-शांति और कल्याण के लिए जितना काम कर सकूं, उसे करता रहूंगा. 2014 से पहले की सरकार ने भ्रष्टाचार को सिस्टम का जरूरी हिस्सा मान लिया था, तब की सरकार भ्रष्टाचार से लड़ने की बजाय उसके आगे घुटने टेक चुकी थी. तब देश देख रहा था कि योजनाओं का पैसा जरूरतमंद तक पहुंचने के पहले ही लुट जाता है.
लेकिन आज चर्चा जन-धन खातों से मिलने वाले फायदों की हो रही है, जनधन आधार और मोबाइल से बनी त्रिशक्ति की हो रही है. पहले रसोई में धुआं सहने की मजबूरी थी, आज उज्ज्वला योजना से सिलेंडर पाने की सहूलियत मिली. पहले इलाज के लिए पैसे जुटाने की बेबसी थी. आज हर गरीब को आयुष्मान भारत का सहारा है. पहले ट्रिपल तलाक का डर था, अब अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने का हौसला है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केन्द्र सरकार के आठ वर्ष पूरे होने के अवसर पर देश भर में आयोजित किये जा रहे गरीब कल्याण सम्मेलन में वर्चुअली प्रतिभाग किया. नरेन्द्र मोदी शिमला से इस कार्यक्रम से वर्चुअली जुडे़ं थे.
उत्तर प्रदेश में बिजली आपूर्ति, कानून व्यवस्था माफिया की अवैध समाप्ति, निवेश, सड़क व एक्सप्रेस वे, निर्धन आवास निशुल्क राशन, निशुल्क बिजली कनेक्शन, राहत व किसान सम्मान निधि का शत प्रतिशत भुगतान, मेडिकल कॉलेज, एयर पोर्ट, तीर्थाटन पर्यटन विकास आदि के विषय प्रत्यक्ष है। योगी सरकार ने तो लिखित रूप में अपनी उपलब्धियां बताई थी. इन सभी का भौतिक सत्यापन किया जा सकता है. जिन करोड़ो लोगों को केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है, उनसे भी संवाद किया जा सकता है. ऐसे में सरकार के दावों को तुरत झूठ बताने से काम नहीं चलेगा. योजनाओं से लाभान्वित लोग ही इससे सहमत नहीं हो सकते. यह कहने से भी काम नहीं चलेगा कि पिछली सरकार की योजनाओं का लोकार्पण किया जा रहा है.
वस्तुतः यह अपनी ही कमजोरी उजागर करने जैसा है. इसका मतलब कि पहले पांच वर्षों का पर्याप्त उपयोग नहीं किया गया। सरकार में निरंतरता होती है। पिछली सरकार यदि योजना बनाने या शिलान्यास करके विदा होती है,तो उसे अंजाम तक पहुंचाना अगली सरकार की जिम्मेदारी होती है. वर्तमान केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्षों से लंबित अनेक योजनाओं को पूरा किया है. इसके अलावा ऐसी अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया,जिनके बारे में पिछली सरकारों ने कल्पना तक नहीं की थी. अनेक योजनाओं पर पिछली सरकारों की गति भी बहुत धीमी थी। वर्तमान सरकार ने उन्हें कई गुना अधिक तेजी से संचालित किया। योगी आदित्यनाथ ने विकास महोत्सव को भी जनकल्याण से जोड़ दिया है.