- Published by- @MrAnshulGaurav
- Tuesday, June 14, 2022
वाराणसी। बुनकरों को फिर रोजी-रोटी आसानी से मिले, इसके लिए केंद्र सरकार ने अपना काम शुरू कर दिया है प्रधानमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र होने के कारण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार का वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसन्धान विभाग इसमें खुद दिलचस्पी ले रहा है और अब इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगा है। यह बातें साई ऑफ़ रूरल डेवलपमेंट वाराणसी के निर्देशक अजय सिंह ने आज एक वार्ता के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि महिलाओ के लिए प्रौद्योगिकी विकास एवं उपयोग कार्यकम के अंतर्गत साई इंस्टिट्यूट बसनी में महिलाओ के लिए बुनकरी, जरी जरदोजी एवं इम्ब्रायडरी, हेंडीक्राफ्ट एवं घरो में पड़े वेस्ट मेटेरियल से खुबसूरत प्रोडक्ट बनाने का का प्रशिक्षण चलाया जा रहा है। केंद्र का मुख्य उदेश्य संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग से शिक्षा व हस्तशिल्प की समुचित जानकारी देने में नई तकनीक के प्रयोग से गरीब व अल्पसंख्यक महिलाओं को प्रशिक्षित कर उनके कार्यों ( ड्रेस डिजाइनिंग, सिलाई, कशीदाकारी, जरी जरजोदी आदि ) की गुणवत्ता में उचित सुधार कर उनकी आजीविका में बढ़ोतरी कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
सेंटर पर ही स्थापित डिजिटल डिजाइनिंग लैब में कोई भी डिजिटल डिजाइनिंग 100-150 रुपये में बनवा सकता है या खरीद सकता है । बनारसी साडी व् इम्ब्रायडरी की अब तक 500 से ज्यादा डिजिटल डिजाइन तैयार है, अब तक इस सेंटर से अलग-अलग विधा में कुल 1389 लडकिया न सिर्फ प्रशिक्षण प्राप्त की बल्कि अधिकतम लडकिया अपना खुद का व्यवसाय स्टार्ट भी की है।
इसके साथ ही इन महिलाओ को हुनर-ए-बनारस के माध्यम से ऑनलाइन बिजनेस की भी ट्रेनिंग डी जाती है ताकि ये महिलाये अपने प्रोडक्ट को सेल कर सके। यहाँ पर बनारसी साड़ियो, इम्ब्रायाडरी और ड्रेस मेटेरियल की डिजाइन चिक सॉफ्टवेयर से तैयार करके बटर पेपर पर प्रिंट लेकर तैयार की जाती है। जिससे समय की मांग के अनुरूप लडकिया अच्छे प्रोडक्ट तैयार कर सके।
रिपोर्ट – जमील अख्तर