अफ़ग़ानिस्तान की स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से ही चरमराई हुई थी और इस आपदा ने समस्याओं को और गंभीर बना दिया है. इस आपदा से देश की संचार व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है.यूनाइटेड नेशंस के मानवीय मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स और अफगानिस्तान के लिए यूनाइटेड नेशंस के उप विशेष प्रतिनिधि रमिज़ अलकबरोव ने अफगानिस्तान की 3.8 करोड़ की आबादी के समक्ष खड़ी गंभीर कठिनाइयों और खतरों का जिक्र किया।
मुश्किल हालात के बीच तालिबान प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों से मदद की गुहार लगाई है. संयुक्त राष्ट्र संघ उन संस्थाओं में शामिल है, जो आपदा से सबसे ज़्यादा प्रभावित पक्तीका प्रांत के सुदूर इलाक़ों में लोगों को रहने के लिए ठिकाने और भोजन मुहैया करा रहा है. अफगानिस्तान में 22 जून को आए भीषण भूकंप के बाद सुरक्षा परिषद की एक बैठक में अधिकारियों ने ये बयान दिए।
अफगानिस्तान की सरकारी मीडिया के अनुसार, इस भूकंप में करीब एक हजार लोग मारे गए हैं। हालांकि, यूनाइटेड नेशंस ने पक्तिका और खोस्त प्रांतों में भूकंप के कारण करीब 770 लोगों के मारे जाने का अनुमान लगाया है।
बचाए गए लोगों और बचावकर्मियों ने बीबीसी को बताया है कि जहां पर भूकंप का केंद्र था, उसके आसपास के गांव, सड़क और मोबाइल फोन के टावर पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं. उन्हें आशंका है कि इस आपदा में मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ सकती है.