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RTI खुलासा : यूपी में अंगूठाछाप भी पा सकते हैं राज्य मुख्यालय, वरिष्ठ या स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश का सूचना विभाग मीडिया प्रतिनिधियों को विभिन्न प्रकार की मान्यताएं देता है जिनमें राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार, वरिष्ठ पत्रकार या स्वतंत्र पत्रकार की मान्यताएं उच्चतम श्रेणी की ऐसी मान्यताएं हैं, जिनके साथ अनेकों निःशुल्क अथवा सशुल्क सरकारी लाभ भी दिए जाते हैं.

इन लाभों में सरकारी आवास आबंटन; रियायती दर पर यात्रा; रिवाल्विंग फण्ड के माध्यम से एस.जी.पी.जी.आई. ( SGPGI ) लखनऊ में निःशुल्क इलाज, विधान सभा, लोकभवन, एनेक्सी, सचिवालय में प्रवेश समेत अनेकों लाभ शामिल हैं.

RTI खुलासा : यूपी में अंगूठा टेक भी पा सकते हैं राज्य मुख्यालय, वरिष्ठ या स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता 

सार्वजनिक जीवन में कुछ मान्यता प्राप्त पत्रकारों द्वारा गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को हेय दृष्टि से देखने की घटनाएं प्रायः सामने आती रहती हैं लेकिन क्या आपको पता है कि राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार, वरिष्ठ पत्रकार या स्वतंत्र पत्रकार जैसी उच्चतम श्रेणी की मान्यताएं प्राप्त व्यक्ति यदि अँगूठा टेक भी हों तो भी राज्य सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता है और राज्य सरकार को अंगूठा टेक व्यक्तियों तक को इस प्रकार की मान्यताएं देने में कतई कोई गुरेज नहीं है.

यानी कि तिकड़म भिडाकर कोई अंगूठा टेक भी यूपी में राज्य मुख्यालय, वरिष्ठ या स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता पा सकता है. चौंकाने वाला यह खुलासा राजधानी लखनऊ निवासी इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा बीती 10 मई को यूपी के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय में दायर की गई एक आरटीआई पर निदेशालय के उप निदेशक और जन सूचना अधिकारी दिनेश कुमार सहगल द्वारा बीती 7 जून को दिए गए उत्तर से हुआ है.

संजय ने आरटीआई आवेदन देकर सूचना मांगी थी कि उनको सूचना विभाग से राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधियों,स्वतंत्र पत्रकारों और वरिष्ठ पत्रकारों की शैक्षिक योग्यता की सूचना मीडिया प्रतिनिधि/पत्रकार के नाम-वार उनको दी जाए. इस पर सहगल ने संजय को लिखकर दिया है कि सूचना विभाग से राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधियों,स्वतंत्र पत्रकारों और वरिष्ठ पत्रकारों के लिए कोई शैक्षिक योग्यता निर्धारित नहीं है.

संजय ने बताया कि उनको भ्रष्टाचार विरोधी मोबाइल हेल्पलाइन नंबर – 7991479999 पर कई सूचनाएं प्राप्त हुई थीं कि कतिपय मीडिया संस्थानों के मालिकों ने आपस में दुरभिःसंधि का गठजोड़ स्थापित कर एक दूसरे के मीडिया संस्थानों से अदला-बदली करके स्वयं अथवा अपने ऐसे रिश्तेदारों-नातेदारों को सूचना विभाग से सरकारी मान्यताएं दिलवा रखीं हैं, जिनमें एक पेज खबर लिखने तक की क्षमता नहीं हैं।

इसीलिए उन्होंने इस तथ्य की पुष्टि करने के लिए यह सूचना मांगी थी. संजय के अनुसार, कम शिक्षित मीडिया प्रतिनिधियों द्वारा जुगाड़ बैठाकर सरकारी मान्यताएं प्राप्त कर लेने से पत्रकारिता का स्तर गिरने के साथ-साथ उच्च शिक्षित मान्यता प्राप्त मीडिया प्रतिनिधियों के सामने अपना सम्मान बचाए रखने का संकट भी उत्पन्न हो रहा है.

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