Breaking News

सुशासन और संस्कृति का संबल

  डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

भाजपा सुशासन और साँस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रति समर्पित रही है. यह उसका वैचारिक आधार और संबल है. इसके बल पर ही उसने जनता का विश्वास प्राप्त किया है. केंद्र और उत्तर प्रदेश में लगातर दूसरी बार पूर्ण बहुमत से उसे सरकार बनाने का अवसर मिला है. वस्तुतः जनसंघ की स्थापना इसी वैचारिक पर हुई थी. प्रारंभिक दशकों में उसका संख्याबल बल कांग्रेस के मुकाबले बहुत कमजोर हुआ करता था. लेकिन विचारधारा के आधार पर उसने देश की राजनीत में महत्त्वपूर्ण स्थान बना लिया था.

भाजपा की स्थापना भी उसी वैचारिक आधार पर हुई थी. श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में वह अन्य सभी पार्टियों से अलग दिखाई दे रही थी.इससे उसके जनाधार और जनसमर्थन में वृद्धि हुई. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा को सरकार बनाने का अवसर मिला. इस सरकार ने सुशासन की मिसाल कायम की. किन्तु यह सरकार दो दर्जन दलों के समर्थन से चल रही थी. इसलिए अनेक राष्ट्रवादी विषयों पर अमल नहीं हो सका. नरेन्द्र मोदी के समय में यह कमी भी दूर हो गई. इधर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी. यह डबल ईंजन सरकार है. इस दौरान अनेक एतिहासिक कार्य हुए.

सदियों से लंबित समस्याओं का समाधान हुआ. सुशासन और संस्कृति का नया अध्याय शुरू हुई.भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का विचार व क्षेत्र व्यापक रहा है। राष्ट्रीय स्वाभिमान किसी देश को शक्तिशाली बनाने में सहायक होता है। तब उसके विचार पर दुनिया ध्यान देती है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्रसंघ में किया था.

इस प्रस्ताव को न्यूनतम समय में सर्वाधिक देशों का समर्थन मिला था। भारत ने कभी अपने मत पर प्रचार तलवार के बल पर नहीं किया। देश में इसी विचार के जागरण की आवश्यकता है।अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण व भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में है। राष्ट्रीय स्वाभिमान का जागरण हो रहा है. राष्ट्रीय गौरव की वृद्धि हो रही है. समर्थ भारत का स्वप्न साकार हो रहा है.

स्वामी विवेकानंद मानते थे कि विश्वगुरु होने की क्षमता केवल भारत के पास है। इस तथ्य का विस्मरण नहीं होना चाहिए। दुनिया में भारत की शाश्वत और मानवतावादी संस्कृति की प्रतिष्ठा बढ़ रही है. भारत राजनीतिक रूप से परतंत्र हुआ था, लेकिन विश्व गुरु को सांस्कृतिक रूप से कभी गुलाम नहीं बनाया जा सकता। योगी सरकार ने प्रयागराज कुम्भ का सफल आयोजन किया था। इसमें उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक लोग सहभागी हुए थे। देश-विदेश से करीब पच्चीस करोड़ लोग संगम स्नान हेतु आये थे। अपने पूर्वजों, सांस्कृतिक परम्पराओं पर गौरव की अनिभूति होनी चाहिए। भारत राष्ट्र बनने की प्रक्रिया कभी नहीं रहा। यह शाश्वत रचना है।इसका उल्लेख विश्व के सबसे प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद में भी है.

इसमें कहा गया कि भारत हमारी माता है हम सब इसके पुत्र है। राष्ट्र की उन्नति प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। जो लोग भारत को नही जानते वो लोग भारत के बारे में गलत बात षड्यंत्र करके भारत को नक्सलवाद,उग्रवाद आतंकवाद में धकेलने का प्रयास करते है। गोरखपुर में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की स्थापना भी भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुरूप है. इसके प्रथम स्थापना दिवस समारोह में योगी का संबोधन भी भारतीय संस्कृति के अनुरूप था.

उन्होने कहा कि लोग अथ पर ध्यान देने की बजाय इति की चिंता करने लगते हैं। अर्थात कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व ही उसके परिणाम की चिंता करने लगते हैं। कठिनाई यहीं से शुरू होती है। लक्ष्य की ओर अग्रसर होते समय कार्य की शुरुआत कैसे करनी है, इसका ध्यान आवश्यक है न कि इसके लिए चिंतित हो जाना कि परिणाम क्या होगा। यदि हम भगवान श्रीकृष्ण के दिए ज्ञान ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ का अनुसरण करते हुए कार्य की अच्छी शुरुआत करेंगे तो उसकी शानदार सफलता कार्य प्रारम्भ होने के साथ ही परिलक्षित होने लगेगी.

कार्य की अच्छी शुरुआत होगी तो कोई भी बाधा, कोई भी ताकत सफलता हासिल करने से नहीं रोक सकती। इसी धारणा को अंगीकार कर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने अपने कदम बढ़ाए और चुनौतियों के बावजूद सफल परिणाम एक साल के कम समय में ही दिख रहा है। शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान के काफी अवसर हैं। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की स्थापना का यह भी एक प्रमुख उद्देश्य है कि शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान को आगे बढ़ाया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी यही मंशा है कि भारत को शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में ग्लोबल नम्बर वन रैंक हासिल करनी है। आयुर्वेद के क्षेत्र में असीम सम्भावनाएं हैं। आयुर्वेद के विद्यार्थी नए शोध कर उन्हें पेटेंट करा सकते हैं। आयुर्वेद के छात्र चिकित्सा हेल्थ एण्ड वेलनेस सेण्टर के साथ ही औषधीय पौधों के क्षेत्र में भी कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी ऐसी वनस्पति नहीं है,जिसमें औषधीय गुण न हों। आयुर्वेद के छात्र शोध के जरिए उन वनस्पतियों को आरोग्यता के अनुकूल बना सकते हैं.

महंत दिग्विजयनाथ ने वर्ष 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना कर पूर्वी उत्तर प्रदेश में शिक्षा की अलख जगाई थी। वर्ष 1956-57 में गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए उन्होंने शिक्षा परिषद के दो कॉलेज दान में दे दिए थे। उनके ही मार्ग का अनुसरण महंत अवेद्यनाथ जी ने किया। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की परिकल्पना ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी ने ही की थी. इधर लखनऊ में नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी कहा कि योगी सरकार भाजपा के एजेंडे पर तेजी से कार्य कर रही है. भाजपा विचारधारा से जुडे़ लोगो का राष्ट्रवादी समूह है। प्रत्येक व्यक्ति को बिजली, पानी,सड़क, स्वास्थ्य,सुरक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित कराना और अराजकता, गुण्डागर्दी व भ्रष्टाचार को समाप्त करना भाजपा का एजेंडा है.

इसी ऐजेण्डे पर सरकार काम कर रही है। केन्द्र सरकार ने पार्टी की प्रतिबद्धता के अनुरूप जम्मू कश्मीर में संवैधानिक सुधार किया. सात दशक बाद यह क्षेत्र राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल हुआ. इसके पहले यहां अलगाववादी तत्वों का वर्चस्व हुआ करता था.राम मंदिर के निर्माण कार्य का शुभारंभ हुआ. भव्य मन्दिर निर्माण का कार्य प्रगति पर है. सरकार समाज कोे सामाजिक, आर्थिक,शैक्षिक रूप से प्रबल करने का काम कर रही है। प्रदेश में भाजपा सरकार से पहले अराजकता थी,रंगदारी, सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार था, बिजली नही आती थी। योगी सरकार ने प्रदेश को इन समस्याओं मुक्त कराया. योगी आदित्यनाथ लगातर दूसरी बार मुख्यमंत्री बने है. यह गौरव हासिल करने वाले वह पहले मुख्यमंत्री हैं. यह सुशासन और साँस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रति उनके समर्पण से सम्भव हुआ.इसी विचारधारा के चलते भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी बनी है. सरकार लोगों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है.

About Samar Saleel

Check Also

आज का राशिफल: 22 नवंबर 2024

मेष राशि: आज का दिन आपके लिए परोपकार के कार्यों से जुड़कर नाम कमाने के ...