अशोक गहलोत दो दिन पहले तक कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ, सुलझे हुए और लोकप्रिय नेता माने जा रहे थे.सचिन पायलट को रोकने के लिए इस बार जो पासा उन्होंने फेंका वह कामयाब नहीं होता दिख रहा है।
राजस्थान के दो दिन के घटनाक्रम में ऐसा संदेश गया है कि गहलोत के कमान से निकला तीर सीधे आलाकमान को लगा। गहलोत कैंप में शामिल विधायक खुशवीर सिंह जोजावर ने मंगलवार को सुबह एएनआई से बातचीत में कहा कि वह आलाकमान के साथ हैं और जो भी फैसला किया जाएगा वह उन्हें मंजूर है। उन्होंने कहा है कि वह राजनीति में रहें या ना रहें लेकिन आलाकमान के फैसले को सहर्ष स्वीकार करेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल, गहलोत को लेकर पार्टी के भविष्य के प्रति आश्वस्त दिख रहे थे लेकिन दो दिनों में उनके समर्थकों की गतिविधियां अनुशासनहीनता के दायरे में आ गई हैं। गहलोत की इरादों और उनके प्लान बी को आलाकमान भी भांप नहीं पाया। गहलोत मुख्यमंत्री पद का मोह छोड़कर पार्टी अध्यक्ष बनने को तैयार हो गए थे।
अशोक गहलोत समर्थक रहे कांग्रेस विधायक गिरिराज सिंह मलिंगा ने राज्य में नए चुनाव कराने की मांग की है।अशोक गहलोत गुट की समर्थक विधायक गंगा देवी ने भी अपने फैसले पर यू-टर्न ले लिया है। उन्होंने इस्तीफे की बात से इनकार करते हुए कहा है कि आलाकमान का हर फैसला उन्हें मंजूर होगा।