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गर्भावस्था में डेंगू के खतरे से रहे सावधान वर्ना खतरे में पड़ सकती है जान

• सिर्फ गर्भवती ही नहीं पेट में पल रहे शिशु के लिए भी है यह खतरनाक
• लक्षण दिखते ही चिकित्सक से करें सम्पर्क, करायें उपचार

वाराणसी। डेंगू का वायरस गर्भवती के लिए ज्यादा घातक होता है। इससे सिर्फ गर्भवती ही नहीं गर्भ में पल रहे शिशु के भी जान को खतरा हो सकता है। लिहाजा डेंगू से बचकर रहने की जरूरत है। डेंगू के लक्षण दिखने पर बिना देर किये चिकित्सक से सम्पर्क कर उपचार कराना शुरू कर देना चाहिए। सही समय से हुए उपचार से यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो जाती है।

यह कहना है पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के एमसीएच विंग की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योति ठाकुर का। वह बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होता है। गर्भवती के लिए खास तौर पर अंतिम तीन महीने काफी महत्वपूर्ण होते हैं। इसमें वायरस अटैक का खतरा ज्यादा रहता है।

ऐसे में इन तीन महीने तो उन्हें हर हाल में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होती है वर्ना डेंगू का संक्रमण गर्भवती के लिए काफी घातक हो सकता है। डेंगू होने पर गर्भवती में ब्लीडिंग का खतरा रहता है और यह स्थिति उसे अबॉर्शन तक ले जा सकती है। इतना ही नहीं डिलीवरी के दौरान हाई ब्लीडिंग भी हो सकती है और जन्म के बाद बच्चे में भी डेंगू का वायरस ट्रांसमिट हो सकता है। इसलिए गर्भवती को डेंगू से सतर्क रहना चाहिए।

क्या होता है डेंगू- डा. ज्योति बताती है कि डेंगू एक तरह का वायरस है जो एडीज मच्छर के काटने से लोगों में फैलता है। डेंगू मच्छर दिन में काटता है। इन मच्छरों का प्रकोप बारिश और उसके तुरंत बाद के मौसम में बढ़ता है। ठहरे हुए पानी में मच्छर अंडे देते हैं और इन्हीं दिनों डेंगू का कहर भी बढ़ता है। गड्ढे, नाली, कूलर, पुराने टायर, टूटी बोतलें, डिब्बों जैसी जगहों में रुके हुए पानी में डेंगू के मच्छर पैदा होते हैं।

इस तरह बरतें सावधानी- घर के आसपास सफाई रखें। घर में पड़े पुराने टायर, टूटी बोतल, डिब्बे, कूलर और नालियों में पानी जमा न होने दें। सोते समय मच्छरदानी लगाएं। खिड़की और दरवाजे पर नेट लगाने से डेंगू के कहर से बचा जा सकता है। फूल आस्तीन के कपड़े पहनें। मच्छर वाले स्थान पर जाने से बचें।

डेंगू के लक्षण- तेज बुखार, खांसी, पेट दर्द व बार-बार उलटी होना, सांस लेने में तकलीफ, मुंह, होंठ और जीभ का सूखना, आंखें लाल होना, कमजोरी और चिड़चिड़ापन, हाथ-पैर का ठंडा होना, कई बार त्वचा का रंग भी बदल जाता है और चकत्ते पड़ जाते हैं।

डेंगू की आशंका होने पर क्या करें- डा. ज्योति ठाकुर के अनुसार गर्भवती को यदि डेंगू के कोई भी लक्षण दिखे तो बिना समय गंवाए डॉक्टर को दिखाना चाहिए। देरी होने से महिला व उसके बच्चे की जान को भी खतरा हो सकता है। डाक्टर के सलाह के बिना कोई भी दवा न लें। वह कहती हैं कि आम तौर पर दर्द या बुखार को गर्भवती सामान्य समझ कर किसी मेडिकल स्टोर अथवा घर में पहले से रखी दवाओं का इस्तेमाल कर लेती है लेकिन यह कदम उनके लिए घातक हो सकता है। गर्भवती को भूलकर भी ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए। गर्भावस्था में बिना डाक्टर के सलाह के दवा किसी भी हाल में नहीं लेना चाहिए।

रिपोर्ट-संजय गुप्ता 

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