दुनिया की सबसे पुरानी भाषा का गौरव संस्कृत को मिला हुआ है. पाणिनी का लिखा हुआ व्याकरण जिसे अष्टाध्यायी के नाम से जाना जाता है. इसके एक पाठ में एक ऐसी पहली थी जिसे 5 वीं शताब्दी से कोई हल नहीं कर सका था. हाल ही में कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में एशियन एंड मिडल ईस्टर्न विभाग में पीएचडी कर रहे 27 साल के ऋषि अतुल राजपोपत ने इस पहेली को सुलझाकर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा.
संस्कृत के विद्वान पाणिनि का लिखा हुआ यह पाठ करीब ढाई हजार साल पुराना है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सालों की कड़ी मेहनत के बाद ऋषि अतुल ने इसे सॉल्व करके सबको हैरान कर दिया.
पाणिनी ने अष्टाध्यायी के पाठ में एक #मेटारूल दिया है जिसकी व्याख्या पहले कई विद्वानों ने की थी लेकिन जब उन विद्वानों के बताए हुए नियम को लोग फॉलो करते थे तब व्याकरण के लिहाज से वह अक्सर गलत साबित होता था लेकिन पाणिनी के उसी पाठ के लिए पिछले विद्वानों के दिए गए सभी व्याख्याओं को ऋषि अतुल ने खारिज कर दिया और नई व्याख्या दी. अतुल के द्वारा दी गई व्याख्या बिना किसी अपवाद के सही शब्दों की संरचना बनाती है.
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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ऋषि अतुल को इस पहेली को सॉल्व करने में 2.5 साल का समय लग गया. अतुल ने कहा कि वह भी इससे तंग आकर इसे अधूरे पर छोड़ने को तैयार थे क्योंकि काफी मेहनत के बाद भी इसका कोई हल नहीं मिल रहा था. इसके बाद एक महीने तक अतुल ने किताबों से दूरी बना ली. इसके बाद अतुल ने सभी मन के काम (घूमना और साइकलिंग) किए और जब वापस काम पर लौटकर आएं तो मिनटभर के अंदर ही इसके बड़े हिस्से को हल कर दिया. इसके बाद पूरी पहेली को सुलझाने में करीब 2.5 साल का समय लग गया.