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19 दिसंबर, शहादत दिवस: काकोरी रेल एक्शन की याद में शहादत दिवस

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में 1985 में भारतीय राष्ट्ररीय कांग्रेस की स्थापना के बाद लोग में आजादी की लड़ाई संगठित रुप से लड़ने की योजना बनी और 1905 तक नरम दल का दबदवा रहा। 1905 के बाद चरम पंथियो का दबदवा गांधी जी के आने से पहले तक था। कुछ नरम दल के थे तो कुछ गरम दल के लोग समानांतर रुप से भारत को आजाद करानें में लगे थे।

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गरम दल को अपनी लड़ाई लड़ने के लिए संसाधन की कमी होने लगी तब उन्होने कुछ देशी रियासत को लूटा पर कुछ खास हाथ नहीं लगा तब उन्होनें सरकारी खजाना लूटने की योजना बनाई । इसमें हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोशिएशन के तहत राम प्रसाद विस्मल की अगुआई में 9 अगस्त 1925 को 8 डाउन सहारनपुर- लखनऊ रेल को काकोरी के पास चैन पुलिंग कर रोक दिया गया। जिसमें विस्मिल के साथ ,राजेन्द्र लहड़ी, अशफाक उल्ला खाँ, ठाकुर रोशन सिंह , पं.चंद्रशेखर आजाद सहित 10 लोगों ने 8000 रु. लूटने के नियत से ट्रेन को रोका पर 4000 रु ही लूटने में कामयाब हो सके।

इसे अंग्रेजों ने डकैती की संज्ञा दी और 40 लोगों को हिरासत में लिया परन्तु चंद्रशेखर आजाद गिरफ्तार नही हो सके। राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र लहड़ी, रोशन सिंह,अशफाक उल्ला खाँ को 19 दिसंबर 1927 को इन चार लोगों को फांसी दे दी गई।

16 को 4 साल से काला पानी तक की सजा 2 को सरकारी गवाह बनने पर छोड़ दिया गया बाकी लोगों को मुक्त कर दिया गया। उन्हीं का याद में आज शहादत दिवस मना रहे है। यह उनका 95वें शहादत दिवस है। इनकी शहाद को हम लोग भूला नहीं लकते है। इन लोगों ने आजादी के लिए हंसते-हंसते शहीद हो गये। ऐसे वीर सपुत को मेरा शत-शत सलाम है।

      लाल बिहारी लाल

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