लखनऊ। महर्षि महेश योगी जी की 106 वीं जयंती पर दिनांक 12 जनवरी 2023 को महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के तत्वधान में एक भव्य संत समागम का आयोजन किया जाएगा, जिसमे देश भर के प्रतिष्ठित संत उपस्थित होकर देश, समाज और धर्म के विषय पर चर्चा करेंगे। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे।
हम सभी जानते हैं भारतीय संस्कृति और धर्म को सम्पूर्ण विश्व में प्रचारित और प्रसारित करने के लिए महर्षि महेश योगी ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया है। उन्होंने राम राज्य की अवधारणा को पूरी दुनिया के सामने रखा और उन्होंने अपने विस्तृत ज्ञान से ग्रहों, नक्षत्रों को हमारे मानव विज्ञान से जोड़कर इसका वैज्ञानिक पहलू सभी को बताया है। उन्होंने दुनिया भर में फैले 1600 जगहों पर राम के अलग अलग नामों के बारे में भी बताया है। महर्षि जी के कार्यों को समझने के लिए उनके कुछ सम्यकों को समझना भी बहुत जरूरी है जिसमें, भावातीत ध्यान, वैदिक शिक्षा, वैदिक स्वास्थ्य, वैदिक कृषि, वैदिक अर्थव्यवस्था, वैदिक वास्तुकला इत्यादि प्रमुख हैं।
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इस अवसर पर महर्षि संस्थान के मीडिया सलाहकार वीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि भारत हमेशा से संतों तथा महात्माओं का देश रहा है और हमारी जड़ें हमेशा से वैदिक पुराणों, महाकाव्यों और ग्रंथों से जुड़ी हुई हैं। आज कल कि युवा पीढ़ी को इन पुराणों, महाकाव्यों, वैदिक ग्रंथों का बोध कराना न सिर्फ हमारा लक्ष्य है अपितु कर्तव्य भी है और महर्षि संस्थान इस दायित्य को निभा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि महर्षि महेश योगी जी राम मुद्रा को यूरोप से ले कर अमेरिका में प्रचलित कराने के प्रयास करते रहे और इसी क्रम में हम सब की माँग है कि भारत में भी राम मुद्रा जारी कराने का प्रयास किया जाना चाहिए। इस संत समागम का यह प्रमुख विषय रहेगा कि किस प्रकार राम मुद्रा को भारत में चलन में लाया जाए।
महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के कुलपति भानु प्रताप ने बताया कि 12 जनवरी 2023 को भव्य संत समागम करने का हमारा एक मात्र लक्ष्य समाज एवं छात्रों को बेहतर राह दिखाना है, उन्होंने यह भी बताया कि आधुनिक शिक्षा में महर्षि जी का योगदान अद्वितीय है, महर्षि जी के शिक्षण संस्थानों द्वारा देशभर में 200 से अधिक महर्षि विद्या मंदिर पूरे भारत खोले गए हैं, इसके अंतर्गत सीबीएससी बोर्ड के द्वारा प्रमाणित शिक्षा दी जाती है। महर्षि जी के द्वारा खोले गए विद्यालयों में खास बात यह है कि वहां के छात्र सिद्धियों का भी अभ्यास करते हैं।