नागा साधुओं के बारे में हमें से ज्यादातर लोगों ने सुना होगा. उनके दुनिया को करीब से देख पाना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि वह बहुत कम ही लोगों से मिलना पसंद करते हैं. हममें से ज्यादातर लोग नाग साधुओं के बारे में जानने के लिए काफी उत्सुक होते हैं जिसमें सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि नागा साधु आखिर कपड़े क्यों नहीं पहनते हैं? और वो समाज की मुख्यधारा के लोगों से ज्यादा मेल-जोल रखना क्यों नहीं पसंद करते हैं?
यहां उनसे जुड़े कुछ अनसुने किस्सों के बारे में बताया जा रहा है. आपको बता दें कि नागा साधु में लगे ‘नागा’ शब्द का मतलब ‘नग्न’ होता है. यह साधु आजीवन नग्न अवस्था में ही रहते हैं और अपने आप को भगवान का दूत मानते हैं और ज्यादा समय तक ईश्वर की उपासना में खोए रहते हैं.
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1. नागा साधु बनने की प्रक्रिया में लगभग 12 साल का समय लगता है जिसमें 6 साल नागा पंथ में शामिल होने के लिए ये जरूरी जानकारियों को इकट्ठा करते हैं. इस दौरान वो केवल लंगोट पहनते हैं. कुंभ के मेले में नागा साधु का झुंड इकट्ठा होता है और यहां प्रण लेने के बाद वह इस लंगोट का भी त्याग कर देते हैं.
2. नागा साधु बनने की प्रक्रिया बहुत ही ज्यादा कठिन होती है. इसमें सबसे पहले नागा साधुओं को ब्रह्मचार्य की शिक्षा दी जाती है. इस परीक्षा में सफल होने के बाद उन्हें महापुरुष दीक्षा दी जाती है और इसके बाद यह यज्ञोपवीत होता है और फिर वह परिवार और खुद का खुद से ही पिंडदान करते हैं जिसे बिजवान कहा जाता है.
3. नागा साधु सोने के लिए किसी बिस्तर का इस्तेमाल नहीं करते हैं बल्कि वह जमीन पर ही सोते हैं. नागा साधु दिन में बस एक बार भोजन करते हैं. नागा साधु एक दिन में बस 7 घरों से भिक्षा मांग सकते हैं. अगर उनको भिक्षा न मिले तो उनको भूखे ही दिन गुजारना पड़ता है.
4. सबसे ज्यादा नागा साधु जुना अखाड़े में होते हैं. आपको बता दें कि नागा साधु बनने की दिक्षा सिर्फ शैव अखाड़े (Shaiv Akhade) में ही दी जाती है.