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जानें कैसे Jain Muni Tarun Sagar महाराज बने जैन संत

Jain Muni Tarun Sagar का आज शनिवार तड़के 51 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। तरुण सागर जी महाराज के बारे में कहा जाता है कि वह जलेबी खाते-खाते संत बन गए थे। 20 साल की उम्र में इन्होंने दिगंबर मुनि से दीक्षा ले कर सन्यासी बन गए।

20 साल की उम्र में दिगंबर मुनि से दीक्षा : Jain Muni Tarun Sagar

जैन मुनि तरुण सागर महाराज ने जैन परंपराआें का अच्छे से निर्वाह किया। दुनिया भर में इनके करोड़ों अनुयार्इ है। उनको लेकर कहा जाता है कि वो कड़वे प्रवचन देने वाले मुनि थे। बावजूद इसके लोगों के बीच लोकप्रिय थे। मध्यप्रदेश के दमोह जिले के एक गांव में जन्में तरुण सागर ने 13 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था। 20 साल की उम्र में इन्होंने दिगंबर मुनि से दीक्षा ले कर सन्यासी बन गए। तरुण सागर हमेशा बिना कपड़ों के पैदल यात्रा करते थे।

बचपन में मुझे जलेबियां बहुत पसंद थीं। मैं एक दिन स्कूल से घर जा रहा था। अक्सर ही स्कूल से वापस लौटते समय एक होटल में जलेबी खाता था। एेसे में एक दिन जब वहां बैठकर मैं जलेबी खा रहा था। तभी वहीं थोड़ी दूर पर मेरे आचार्य पुष्पधनसागरजी महाराज का प्रवचन चल रहा था। वह कह रहे थे कि तुम भी भगवान बन सकते हो। इस बात को सुनने के बाद मैंने संत बनने का फैसला लिया।- मुनि तरुण सागर

गबंर मुनि उसे कहते हैं

तरुण सागर ने एक कविता के रूप में कपड़े न पहनने के सवाल पर जवाब दिया। उन्होंने कहा, दिगबंर मुनि उसे कहते हैं जिसके पैरों में जूता नहीं, सिर पर छाता नहीं, बैंक में खाता नहीं, परिवार से नाता नहीं उसे कहते हैं दिगंबर मुनि। जिसके तन पर कपड़े नहीं, जिसके मन में लफड़े नहीं, जिसके वचन में झगड़े नहीं, जीवन में कोर्इ रगड़े नहीं, उसे कहते हैं दिगंबर मुनि। जिसका कोर्इ घर नहीं, किसी बात का डर नहीं, दुनिया का असर नहीं आैर जिससे बड़ा कोर्इ सुपर नहीं, उसे कहते हैं दिगबंर मुनि।

श्मशान शहर के बाहर नहीं, बल्कि बीचोबीच

समाज को बेहतर दिशा दिखाने का एक बड़ा उदाहरण ये है कि तरुण सागर ने अपना 50वां जन्म दिवस राजस्थान के श्मशान घाट में मनाया। इस मौके पर उन्होंने 50 लोगों को अपना एक जन्मदिवस श्मशान में मनाने का संकल्प दिलाया और श्मशान में 50 पौधे भी लगाए थे। उनका कहना था कि एक न एक दिन सबको श्मशान आना होता है। श्मशान शहर के बाहर नहीं, बल्कि बीचोबीच होने चाहिए ताकि लोगों को जीवन की नश्वरता का अहसास होता रहे।

जैनमुनि ने एक बार अपने प्रवचन में बताया था कि दुनिया में चार चीजें मुश्किल हैं। हाथी को धक्का देना, मच्छर की मालिश करना, चीटी की पप्पी लेना और शादी के बाद मुस्कुराना। अगर आदमी हर हाल में जीने की आदत डाल ले तो वह शादी क्या ताउम्र मुस्कुराते हुए जी सकता है।जीवन में दो बातें याद रखिए और दो बातों को भूल जाइए। याद रखने वाली बात अपने भगवान और मौत को याद रखिए और भूल जाने वाली बात किसी ने तुम्हारे साथ बुरा किया या तुमने कोई अच्छा काम किया।

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