अतीक अहमद की एक कॉल से गांव का एक बाइक चोर विजय चौधरी कुख्यात शूटर बन गया। दौलत की लालच में जरायम की दुनिया में नई पहचान बनाने की कोशिश की। नई पहचान के लिए नाम बदल कर उस्मान हो गया।
किसी की जान लेने के लिए वह राजी हो गया। लेकिन बाइक चोरी से शूटर बने विजय चौधरी के लिए उमेश पाल और गनर की हत्या करना महंगा पड़ा। महज दस दिन में पुलिस ने उसे ढूंढ निकाला और एनकाउंटर में मार गिराया। मरने से पहले उसने पुलिस को कई राज बयां किए, जिस आधार पर पुलिस की टीमें अतीक के बेटे समेत अन्य की तलाश में छापामारी कर रही हैं।
अहमदाबाद जेल से अतीक अहमद और बरेली जेल से अशरफ ने अपने गुर्गों से वीडियो कॉल पर संपर्क किया। अतीक के बेटे असद ने टीम को लीड किया। कसारी मसारी स्थित उसके मकान में बैठक बुलाई गई। इसके बाद गुलाम एमबी हाउस में मिला। उमेश पाल की हत्या के लिए विजय चौधरी को 10 लाख रुपये और एक गाड़ी मिलने वाली थी। गाड़ी मिलने के बाद उसे दूसरे की गाड़ी चलाने की जरूरत नहीं पड़ती। सटीक प्लानिंग के तहत 24 फरवरी को सभी लोग चकिया में बैठे थे। क्रेटा कार और बाइक से आरोपी निकले और धूमनगंज पहुंचे।
कचहरी से उमेश पाल के निकलते ही उन्हें सूचना मिल गई। पीछे लगे शूटरों ने हमला कर उमेश पाल और दोनों सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी। वारदात को अंजाम देने के बाद सभी वापस चकिया लौटे। वहीं पर कार और बाइक छोड़ दी और सभी अलग-अलग हो गए। विजय वहां से घर होते हुए सतना चला गया। घर वालों को झूठी कहानी सुनाई थी। विजय के मारे जाने के बाद अब पुलिस गुलाम और गुड्डू की तलाश में लगी है। अतीक के बेटे की तलाश में पुलिस की दूसरी टीम लगी है।
कौंधियारा के विजय चौधरी के खिलाफ नैनी में बाइक चोरी की रिपोर्ट दर्ज है। माघ मेला में विजय ने परेड मैदान से एक बाइक चोरी की थी। इसके बाद दारागंज में उसके खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज हुई। इस बीच वह अतीक गैंग के संपर्क में आया। विजय अतीक अहमद के बेटे असद से मिलने कसारी मसारी स्थित उसके घर पर आने जाने लगा। वहीं पर गुलाम ने उसका माइंड वाश किया। साथ में काम करने के लिए उसे राजी किया। पहले जेब खर्च के लिए 55 हजार रुपये और एक आईफोन दिया। इसी बीच उसके मोबाइल पर अहमदाबाद जेल से अतीक अहमद ने कॉल किया तो उसका हौसला बढ़ गया। वारदात को अंजाम देने से पहले वह गुलाम के साथ बरेली जेल में जाकर अशरफ से मिला था।