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कानपुर नगर निगम चुनाव में बीजेपी को मिली बड़ी जीत , दूसरी बार मेयर बनाने जा रही प्रमिला पांडेय

त्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बंपर जीत मिली है। मेयर के सभी 17 पदों पर भगवा दल ने कब्जा कर लिया है। इसी के साथ कानपुर नगर निगम चुनाव में भी कमल खिल गया है।

भाजपा की उम्मीदवार प्रमिला पांडेय ने मेयर चुनाव में बाजी मार ली है। प्रमिला पांडेय ने समाजवादी पार्टी की वंदना वाजपेई को 177846 वोटों से मात दी है। उन्हें कुल 440353 वोट मिले। पिछले चुनाव में प्रमिला पांडेय ने 1.05 लाख वोटों से कांग्रेस की वंदना मिश्रा को हराया था और मेयर बनी थीं।

प्रमिला पांडेय भाजपा महिला मोर्चा में बूथ लेवल से लेकर वह प्रदेश स्तर तक की पदाधिकारी रह चुकी हैं। वह स्टेट मेयर काउंसिल और ऑल इंडिया मेयर काउंसिल में भी बड़े पदों पर आसीन रहीं। पति रजिस्ट्रार ऑफिस से रिटायर्ड हैं। 12वीं तक पढ़ीं प्रमिला आरएसएस से भी जुड़ी रहीं। सिविल लाइंस वार्ड 52 से दो बार पार्षद चुनी गईं। शहर में लोग उन्हें माताजी, चाची, दीदी और मौसी भी कहकर बुलाते हैं। उनके पास बंदूक और रिवाल्वर है।

पति के पास भी बंदूक और रिवाल्वर है। पिछली बार महापौर के चुनाव में दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक उनके पास नगद समेत चल संपत्ति 1.32 करोड़ है। जबकि पति की मिलाकर कुल अचल संपत्ति 5.5 करोड़ थी। पिछले चुनाव में उन्होंने 1.05 लाख वोटों से कांग्रेस की वंदना मिश्रा को हराया था और महापौर बनी थीं।

प्रमिला पांडेय जौनपुर की मड़ियाहूं तहसील के बेलौना गांव में वर्ष 1958 में पैदा हुईं। जिस स्कूल में वह पढ़ीं उसमें आठवीं क्लास में भी सारे लड़कों के बीच अकेली लड़की थीं। उनके पिता पंडित श्रीप्रकाश दुबे जमींदार थे। मां का नाम कमला देवी था। प्रमिला पांडेय की शादी 1976 में जौनपुर के ही सिकराना तहसील निवासी लक्ष्मी शंकर पांडेय से हुई। उन्हीं के साथ वह कानपुर आईं थीं। यहां वह एफएम कॉलोनी में परिवार संग रहने लगीं। वर्ष 1995 में पहली बार वह पार्षद बनीं और दस साल तक इस पद पर बनी रहीं।

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