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कर्नाटक मॉडल पर मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ने की तैयारी में कांग्रेस, मिल गया भाजपा को घेरने का मुद्दा

ज्जैन के महाकाल परिसर में बनाए गए महाकाल लोक की मूर्तियों के आंधी में ढहने से कांग्रेस को विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को घेरने का बड़ा मुद्दा मिल गया है। पार्टी कर्नाटक की तरह पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने में जुट गई है।

पार्टी रणनीतिकार आगामी विधानसभा चुनाव में पंचायत से मंत्रालय तक के भ्रष्टाचार से जुड़े विषयों को पूरी प्रामाणिकता के साथ उठाने की तैयारी में हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल ने दावा किया कि मध्य प्रदेश में कर्नाटक से ज्यादा भ्रष्टाचार है। पार्टी पूरी ताकत के साथ इस मुद्दे को लोगों के बीच उठाएगी। प्रदेश कांग्रेस नेता शोभा ओझा का आरोप है कि मध्य प्रदेश में 40 परसेंट नहीं, 80 परसेंट कमीशन वाली सरकार है। इसको लेकर पार्टी प्रदेशव्यापी कार्यक्रम शुरू कर रही है। हर विधानसभा क्षेत्र तक पहुंचने का प्रयास करेगी।

प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, पार्टी जल्द भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर बड़ा अभियान शुरू करेगी। कर्नाटक की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले सुनील कानुगोलू की टीम इस दिशा में काम कर रही है। भ्रष्टाचार को लेकर मुहिम शुरू की जाएगी। इसके साथ पार्टी कर्नाटक और हिमाचल की तरह महिलाओं पर खास फोकस कर रही है।

भ्रष्टाचार के साथ पार्टी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की असफलताओं को उजागर कर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी। इसके साथ पार्टी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को भी रोकने का प्रयास करेगी। जन कल्याण से जुड़ी अपनी योजनाएं लोगों को बताएगी। कर्नाटक की तर्ज पर पार्टी मुफ्त बिजली के साथ महिला सशक्तीकरण पर जोर देगी।

पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा 12 जून को जबलपुर से चुनाव अभियान की शुरुआत कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की जीत में प्रियंका गांधी की भूमिका काफी अहम रही है। कांग्रेस मध्य प्रदेश में पिंक वचन पत्र के जरिये नारी सम्मान योजना के तहत महिलाओं को 1500 रुपये देने, 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर और सौ यूनिट फ्री बिजली का वादा कर रही है, ताकि महिलाओं का भरोसा जीता जा सके।

मध्य प्रदेश को आरएसएस की सबसे बड़ी प्रयोगशाला माना जाता है। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, हमारी पूरी कोशिश होगी कि भाजपा को चुनाव से पहले कोई भावनात्मक मुद्दा न मिल पाए। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, चुनाव घोषणा पत्र समिति को भी भावनात्मक मुद्दों से दूर रहने की सलाह दी गई। क्योंकि, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के जमीनी हालात में काफी फर्क है।

 

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