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कबीर आश्रम मुनागंज में कबीर दास का 634 वां प्राकट्य दिवस धूमधाम से मनाया गया

औरैया। मध्य काल के महान संत, निर्भीक समाज सुधारक सन्त कबीर का प्राकट्य दिवस धूमधाम से मुनागंज जनपद औरैया स्थित कबीर आश्रम पर मनाया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कबीर दास जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनको नमन किया।

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इस अवसर पर आश्रम के महंत राम शरण दास जी ने कबीर ज्ञान गुदड़ी का वाचन किया। उन्होंने जनसमूह को सम्बोधित करते हुए सन्त कबीर के विचारों पर चलने का आग्रह किया। इस अवसर पर महात्मा जीवन दास, सोवरन दास, सेवा दास, राम मणि दास, महेश दास, लखपति दास आदि सन्त-महात्मा और बड़ी संख्या में उनके अनुयायी उपस्थित रहे।

कबीर दास का 634 वां प्राकट्य दिवस धूमधाम से मनाया गया

जैसा कि ज्ञातव्य है कि कबीर दास का जन्म जयेष्ठ मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को सन 1398 ई0 में काशी वर्तमान वाराणसी में हुआ था। कबीर दास ने अपनी शिक्षाओं में परमात्मा की भक्ति पर जोर दिया है। वे अपनी वाणी में कहते हैं..

दुर्लभ मानुष जन्म है देह न बारम्बार।
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े बहुर न लागे डार।।

कबीर दास हिन्दू धर्म तथा इस्लाम धर्म में व्याप्त कुरीतियों के निर्भीक आलोचक थे। उन्होंने अपनी वाणी में अहिंसा, सत्य, सदाचार आदि पर विशेष बल दिया था।अपनी सरलता, साधु स्वभाव तथा सन्त प्रव्रत्ति के कारण बहुत से हिन्दू तथा मुस्लिम धर्म के अनुयायी उनके शिष्य बने। कबीर दास तो केवल मानव धर्म में विश्वास रखते थे।उन्होंने पत्थर और मूर्ति पूजा का विरोध किया..

पाथर पूजैं हरि मिलें तो मैं पूजूँ पहाड़।
वाते तो चाकी भली पीस खाय संसार।।

आधुनिक समय में जहां चारों तरफ जातिवाद,धार्मिक कर्मकांड,आपसी वैमनस्यता और कट्टरता का बोलबाला है ऐसे समय में कबीर के विचार और भी प्रासंगिक हो जाते हैं।

रिपोर्ट – संदीप राठौर चुनमुन

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