ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के बाद अभी भी 82 ऐसे शव हैं, जिनकी पहचान नहीं हो सकी है। इन शवों की पहचान के लिए परिजनों की डीएनए टेस्टिंग करवाई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, भुवनेश्वर एम्स ने बीते 48 घंटों में एक भी शव को नहीं सौंपा है।
ज्यादातर लाशें सड़ चुकी हैं। उनकी पहचान के लिए अब डीएनए रिपोर्ट की ही सहारा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को एम्स के अधिकारियों से मुलाकात की थी। उन्होंने इस दौरान पहचान की प्रक्रिया पर चर्चा की थी। इसके बाद उन्होंने कहा था, “डीएनए मिलान वैज्ञानिक तरीके से पहचान का एकमात्र तरीका है और हम इस संबंध में सभी कदम उठा रहे हैं।”
भुवनेश्वर एम्स के अधिकारियों ने कहा कि शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग पूरी कर ली गई है। उन्होंने 50 से अधिक रिश्तेदारों के रक्त के नमूने भी एकत्र किए हैं जिन्हें एक या दो दिन में नई दिल्ली भेजा जाएगा।
अधिकारी ने कहा, ”बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ लोग अभी भी शवों का दावा करने आ रहे हैं। हमने उन्हें तस्वीरों से शवों की पहचान करने के लिए कहा है। हम डीएनए जांच के लिए उनके रक्त के नमूने एकत्र कर रहे हैं, जिससे उनकी पहचान की पुष्टि होगी।”
बिहार के मोतिहारी के रहने वाले सुभाष सहनी भी एम्स के बाहर इंतजार कर रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि उन्होंने तस्वीरों से अपने भाई राजा के शव की पहचान की थी, लेकिन किसी अन्य परिवार ने भी दावा किया तो वह निराश हो गए।
शव को पश्चिम बंगाल ले जाया रहा था। उसे वापस भुवनेश्वर इसलिए लाना पड़ा कि परिवार ने दावा किया कि राजा की जेब में आधार कार्ड मिला है। इसके बाद भी सुभाष की प्रतीक्षा समाप्त नहीं हुई। वहीं, इस मामले पर राज्य सरकार के सूत्रों का कहना है कि डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही लावारिस शवों के निस्तारण पर कोई फैसला लिया जाएगा।