नई दिल्ली। टाटा TATA समूह संकटग्रस्त जेट एयरवेज के लिए संकटमोचक बन सकता है। समूह जेट में हिस्सेदारी खरीदने पर विचार कर रहा है। मालूम हो कि जेट एयरवेज में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कंपनी को पायलटों और अन्य कर्मचारियों को भी वेतन देने में मुश्किल हो रही है। ऐसे में टाटा समूह द्वारा हिस्सेदारी खरीदने से जेट एयरवेज को राहत मिल सकती है।
TATA कंपनियों की होल्डिंग कंपनी
टाटा TATA कंपनियों की होल्डिंग कंपनी टाटा संस चाहती है कि जेट का प्रबंधकीय नियंत्रण उसके हाथ में आ जाए। टाटा समूह के पास संयुक्त उपक्रम के रूप में दो एयरलाइन पहले से ही हैं। उसका पहला ज्वाइंट वेंचर सिंगापुर एयरलाइंस के साथ है जो विस्तारा का संचालन करती है जबकि दूसरे ज्वाइंट वेंचर से एयर एशिया का संचालन होता है।
विस्तारा फुल सर्विसेज कैरियर है जिसका जेट से सीधा मुकाबला होता है। जेट के साथ सौदा हुआ तो टाटा को हवाई रूट, विमानों की संख्या और ज्यादा बाजार हिस्सेदारी के मामले में स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी। इस संबंध में संपर्क किए जाने पर जेट एयरवेज के प्रवक्ता ने इन खबरों को अटकलें करार दिया। दूसरी ओर टाटा संस से पूछे गए सवालों पर कोई जवाब नहीं मिला।
जेट एयरवेज के प्रमुख नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनिता के पास जेट के 51 प्रतिशत शेयर हैं। टाटा ग्रुप गोयल और उनकी पत्नी से न्यूनतम 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदना चाहेगा। इससे उसे जेट के अन्य शेयरधारकों से और 26 प्रतिशत शेयर खरीदने का अवसर मिल जाएगा। जेट में इतिहाद एयरवेज की 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सूत्रों का कहना है कि जेट की हिस्सेदारी खरीदने की बात ऐसे समय में आई है जब विस्तारा विदेशी रूटों पर विस्तार करने की योजना बना रही है। विस्तारा द्वारा जेट की हिस्सेदारी खरीदी जा सकती है। इससे उसे अंतरराष्ट्रीय रूटों पर बढ़त मिल जाएगी।