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प्रिवेंटिव थेरेपी अपनाएं, परिजनों को टीबी से बचाएं

• फेफड़े की टीबी के मरीजों के परिजनों के लिए टीपीटी है जरूरी

• परिजनों को मिला है अगर टीपीटी का साथ तो नहीं बिगड़ेगी बात

वाराणसी। नक्खी घाट निवासी पेशे से मजदूर 48 वर्षीय ललित (परिवर्तित नाम) को गत फरवरी माह में फेफड़े की टीबी हुई। जिला क्षय रोग केन्द्र में शुरू हुए उपचार के साथ ही चिकित्सक ने सलाह दी कि वह पत्नी और तीन बच्चों की भी जांच कराकर उनकी प्रिवेंटिव थेरेपी शुरू कर दें । ललित ने चिकित्सक की सलाह को गंभीरता से नहीं लिया।

प्रिवेंटिव थेरेपी अपनाएं परिजनों को टीबी से बचाएं

इसका नतीजा हुआ कि दो माह बाद यानि अप्रैल के प्रारम्भ में पत्नी को भी खांसी और बुखार आने लगा। जांच कराया तो पता चला कि फेफड़े की टीबी हो चुकी है। इस वाकये के बाद ललित को गलती का एहसास हुआ। पत्नी ने टीबी की दवा का नियमित सेवन करने के साथ ही दोनों बच्चों की जांच कराकर उनकी प्रिवेंटिव थेरेपी भी शुरू करा दी है, ताकि भविष्य में वह टीबी से सुरक्षित बन सकें।

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ढेलवरियां के रहने वाले 58 वर्षीय रेहान (परिवर्तित नाम) पेशे से बुनकर हैं। चार बच्चों के पिता रेहान को पांच माह पूर्व फेफड़े की टीबी हुई। जिला क्षय रोग केन्द्र में दिखाने के बाद वह अपना नियमित उपचार तो कर ही रहें हैं चिकित्सकीय सलाह पर परिजनों की टीबी की प्रिवेंटिव थेरेपी करा रहे हैं। इसका सुखद परिणाम है कि रेहान की हालत में तो अब तेजी से सुधार है ही उनके परिवार के अन्य सदस्य भी स्वस्थ हैं।

प्रिवेंटिव थेरेपी अपनाएं परिजनों को टीबी से बचाएं

यह दो वाकये यह बताते हैं कि यदि किसी को फेफड़े की टीबी है तो उनके परिजनों के लिए टीबी की प्रिवेटिव थेरेपी कितनी जरूरी है। जिला क्षय रोग केन्द्र के चिकित्सा अधिकारी डा अन्वित श्रीवास्तव बताते हैं कि जब किसी व्यक्ति को फेफड़े की टीबी होती है तो वह अपने सम्पर्क में आने वाले कम से कम 15 व्यक्तियों को टीबी से संक्रमित कर सकता है।

प्रिवेंटिव थेरेपी अपनाएं परिजनों को टीबी से बचाएं

ऐसे में यदि परिवार के किसी सदस्य को फेफड़े की टीबी है तो इसके संक्रमण से और लोग न प्रभावित हों इसके लिए परिजनों का टीबी की प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) कराना बेहद जरूरी है। इस थेरेपी में टीबी मरीज के सम्पर्क में रहने वाले परिजनों की कुछ जरूरी जांच कराने के बाद दवाएं दी जाती हैं , जिससे उन्हें टीबी होने का खतरा नहीं रहता है।

प्रिवेंटिव थेरेपी अपनाएं परिजनों को टीबी से बचाएं

क्या है टीपीटी- जिला क्षय रोग अधिकारी डा पीयूष राय बताते हैं कि जब किसी को फेफड़े की टीबी होती है तो उसका उपचार शुरू करने के साथ ही रोगी के परिजनों की स्क्रीनिंग और एक्स-रे कराया जाता है। उनमें से किसी व्यक्ति में यदि टीबी के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसका भी उपचार विभाग की ओर से किया जाता है । लक्षण नहीं दिखने पर उस व्यक्ति की टीपीटी शुरू की जाती है ताकि उसे टीबी के खतरे से दूर रखा जाए। पहले यह थेरेपी पांच वर्ष तक के बच्चों को दी जाती थी। अब क्षय रोग से पीड़ित मरीज के परिवार के सभी सदस्यों को यह थेरेपी दी जाती है।

डा राय के अनुसार राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत जनपद के सभी क्षय रोगियों के परिवार के सदस्यों को टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) की सुविधा दी जा रही है । टीबी के प्रसार को रोकने के लिए यह थेरेपी काफी कारगर है। इस कार्य में सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन (सीएचआरआई) के तहत जीत प्रोजेक्ट स्वास्थ्य विभाग का सहयोग कर रहा है।

प्रिवेंटिव थेरेपी अपनाएं परिजनों को टीबी से बचाएं

जिले में 12 हजार से अधिक को दी टीपीटी- जीत प्रोजेक्ट के डिस्ट्रिक्ट लीड अश्वनी राय बताते हैं कि जिला क्षय रोग केंद्र से भेजी गई 5858 क्षय रोगियों की सूची के क्रम में दिसंबर 2021 से अब तक 24138 परिजनों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। सीएचआरआई के जरिए 14668 लोगों की एक्सरे जांच की गई, जिसमें से पाँच वर्ष से ऊपर के 12424 लोगों को टीपीटी दी जा रही है।

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पाँच वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों को कीमो प्रोफाइलिक्सिस थेरेपी दी जा रही है । उन्होंने बताया कि टीपीटी प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से सीएचआरआई की ओर से जनपद में टीपीटी के लिए 25 टीमें बनाई गई हैं जो फेफड़े की टीबी से संक्रमित मरीजों के परिजनों से सम्पर्क कर उनकी जांच कराने के साथ ही उन्हें यह सुविधा प्रदान करने में मदद करती हैं।

रिपोर्ट-संजय गुप्ता

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