बिहार में ओडिशा के बालासोर जैसा रेल हादसा होते-होते बच गया। बरौनी से नई दिल्ली जा रही ट्रेन नंबर 02563 वैशाली क्लोन सुपरफास्ट सोमवार को मुजफ्फरपुर से चलने के बाद मोतिहारी के बदले हाजीपुर ट्रैक पर चली गई।
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जब तक लोको पायलट की नजर कौशन रिपोर्ट पर पड़ी, ट्रेन करीब दो सौ मीटर आगे बढ़कर माड़ीपुर ओवरब्रिज के पास पहुंच चुकी थी। लोको पायलट ने कंट्रोल व स्टेशन मास्टर कार्यालय को इसकी जानकारी दी। फिर ट्रेन को वापस जंक्शन पर लाया गया। इस पूरे मामले में ट्रेन को सिग्नल देने वाले की गलती सामने आई है। मामले में सोनपुर रेल मंडल के डीआरएम विवेक भूषण सूद ने पैनल ऑपरेटर अजीत कुमार व पैनल प्रभारी सुरेश प्रसाद सिंह को निलंबित कर दिया है।
ट्रेन वापस प्लेटफॉर्म पर लाने से आधा घंटे लेट हो गई। जानकारी मिलने पर यातायात निरीक्षक व स्टेशन अधीक्षक समेत कई अधिकारी व पर्यवेक्षक प्लेटफॉर्म पर पहुंचे। इसके बाद आरआरआई भवन पहुंचकर जांच की गई। मामले में स्टेशन मास्टर और अन्य कर्मियों पर जांच शुरू कर दी गई है। दरअसल, वाराणसी मंडल के भटनी यार्ड में इंजीनियरिंग कार्य के लिए ब्लॉक लेने के कारण वैशाली क्लोन समेत 9 ट्रेनों के मार्ग में बदलाव किया गया है। ट्रेन नंबर 02563 वैशाली क्लोन सुपरफास्ट 20, 24, 27, 31 जुलाई एवं 03 अगस्त को परिवर्तित मार्ग मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज-गोरखपुर कैंट के रास्ते जाना है। यह ट्रेन नियमित रूप से मुजफ्फरपुर-हाजीपुर रूट से चलती है। इसकी सूचना पूर्व मध्य रेलवे की ओर से परिचालन समेत अन्य विभागों को दी गई है।
बालासोर रेल हादसे के बाद रेलवे में संरक्षा को लेकर हाई अलर्ट है। इसके बाद भी मुजफ्फरपुर जंक्शन और आसपास के स्टेशनों पर लापरवाही जारी है। डेढ़ माह पूर्व ब्लॉक लाइन पर डिब्रूगढ़-चंडीगढ़ एक्सप्रेस के परिचालन पर ढोली स्टेशन अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद पूर्व मध्य रेल एवं सोनपुर रेल मंडल के अधिकारी लगातार जंक्शन और स्टेशनों पर पहुंचकर संरक्षा को लेकर कर्मियों को लेकर जागरूक कर रहे हैं। फिर भी गलत सिग्नल के कारण वैशाली क्लोन सुपरफास्ट हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बची।
समस्तीपुर-दरभंगा रेलखंड बाधित होने से मुजफ्फरपुर जंक्शन पर ट्रेनों का दवाब बढ़ा है। दरभंगा एवं जयनगर से जुड़ी ढाई दर्जन ट्रेनें परिवर्तित मार्ग सीतामढ़ी से चल रही हैं। वहीं भटनी में एनआई वर्क के कारण हाजीपुर रूट की 9 ट्रेनों के मार्ग में फेरबदल किया गया है। एक साथ दो रूट की ट्रेनों के मार्ग में बदलाव से परिचालन से जुड़े पर्यवेक्षकों और कर्मियों पर दवाब बढ़ा है। इसके लिए अतिरिक्त पर्यवेक्षक की तैनाती नहीं की गई है।
बताया गया कि ट्रेन के रूट में फेरबदल की सूचना कर्मी एक-दूसरे को व्हाट्सएप पर देते हैं, जबकि नियम के अनुसार लिखित में जानकारी आरआरआई भवन एवं एसएम को देनी है। इससे कार्य के दौरान चूक की संभावना बनी रहती है।