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हमें अपनी संस्कृति और महापुरुषों के बारे अवश्य जानना चाहिए: प्रो मंजुला उपाध्याय

लखनऊ। नवयुग कन्या महाविद्यालय और दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संयुक्त तत्वावधान में एक संगोष्ठी महाराज छत्रपति शिवाजी जी के जीवन पर आधारित नाटक जाणता राजा विषय पर महाविद्यालय के सभागार में आयोजित की गयी। कार्यक्रम का प्रारंभ छत्रपति शिवाजी के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। इस अवसर पर शतरूद्र प्रताप, सह प्रभारी जाणता राजा, रेशू भाटिया, आशीष गौतम, अध्यक्ष, दिव्य प्रेम सेवा मिशन एवं महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो मंजुला उपाध्याय उपस्थित रहीं।

हमें अपनी संस्कृति और महापुरुषों के बारे अवश्य जानना चाहिए: प्रो मंजुला उपाध्याय

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत पुष्प पौध और अंगवस्त्र से किया गया। विषय प्रवर्तन करते हुए शतरूद्र प्रताप ने कहा कि भारत अध्यात्म की भूमि है। स्वामी विवेकानंद ने अध्यात्म के द्वारा ही नर सेवा की। जाणता राजा एक ऐसे राजा की कहानी है जो समझदार है, जानकार हैं और अपनी संपूर्ण संवेदना के साथ जनता की सेवा करता है। छत्रपति शिवाजी की युद्ध नीति को भारत ही नहीं विदेशों में पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। 1630 में जन्मे छत्रपति शिवाजी ने राज्य संभाला तो अपनी मां जीजाबाई के संकल्प को पूरा किया।

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उन्होंने मंदिरों की रक्षा की, बीजापुर, गोलकुंडा को जीता।एक नौ सेना की स्थापना की। कृषि, व्यापार, महिलाओं की सुरक्षा जैसे कार्य किए। इसी उद्देश्य के साथ जाणता राजा नाटक का मंचन लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में 26 से 31अक्टूबर को किया जा रहा है। जिसमें लगभग 350 कलाकार हैं भव्य मंच है एक महानायक की गाथा है।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि रेशू भाटिया ने कहा कि हमसे आज तक इतिहास को छिपाया गया, हमारे महापुरुषों के त्याग और बलिदान की गाथाएं हमारे सामने नहीं आ सकी, इसी दिशा में यह एक प्रयास है। आजकल हम पश्चिमी सभ्यता के कारण अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं यदि आप जाणता राजा नाटक देखेंगे तो निश्चित ही जीवन में सकारात्मक परिवर्तन संभव है।

हमें अपनी संस्कृति और महापुरुषों के बारे अवश्य जानना चाहिए: प्रो मंजुला उपाध्याय

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्राचार्या प्रो मंजुला उपाध्याय ने कहा कि हम अमृतकाल में प्रवेश कर चुके हैं इसलिए हमें अपनी संस्कृति और महापुरुषों के बारे अवश्य जानना चाहिए । छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिए। आप सभी छात्राएं यदि यह नाटक देखेंगे तो अपनी संस्कृति और सभ्यता से परिचित होंगी।

उन्होंने पांच प्रमुख बिंदुओं पर भी ध्यान देने को कहा, विकसित भारत, आत्मनिर्भरता, गुलामी के प्रतीक, विरासत एवं कर्तव्य पालन के लिए आज प्रधानमंत्री मोदी जी हमें प्रेरित कर रहे हैं।कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि डा आशीष गौतम ने कहा कि आज हमारे देश को ऐसे महापुरुष के चरित्र ‌और जीवन की आवश्यकता है इस दिशा में ये नाटक एक सतत् प्रयास है।
आप सभी इस भव्य नाटक को अवश्य देंखे और लाभान्वित हो।

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कार्यक्रम में जाणता राजा पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई। कार्यक्रम का संचालन प्रो संगीता शुक्ला ने किया और धन्यवाद ज्ञापन अंकिता पांडे ने दिया। इस अवसर पर सुमन पांडेय, डा अनुभूति, विनीता सिंह,एकता सिंह मितुषी नेगी, मनीषा सिंह एवं महाविद्यालय की समस्त प्रवक्ताएं और छात्राएं उपस्थित रहीं।

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