खेती-किसानी में बढ़ते हुए मुनाफे को देखते हुए बड़ी संख्या में युवा इस ओर दिलचस्पी दिखा रहे रहे हैं. कई युवा तो मल्टीनेशनल कंपनीज की लाखों रुपये सैलरी वाली नौकरी छोड़ खेती को को चुना है.
ऐसी ही एक किसान हैं छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला अंतर्गत कुरुद प्रखंड के चरमुड़िया गांव की रहने वाली स्मारिका चंद्राकर. वह अपने पिता के साथ खेती-बाड़ी करती हैं.
साल 2020 में स्मारिका ने शुरू की खेती
स्मारिका ने रायपुर में कम्प्यूटर साइंस में बी ई करने के बाद पुणे से एमबीए की पढ़ाई की. फिर मल्टीनेशनल कम्पनी से जुड़ गईं. यहां उनका सालाना पैकेज 15 लाख रुपए के आसपास था. सब कुछ ठीक चल रहा था. इस बीच उनके पिताजी की तबियत खराब हो गई और वह वापस लौट आईं. पिता की तबीयत नहीं सही रहने के चलते साल 2020 में स्मारिका ने खुद 23 एकड़ में सब्जी की खेती शुरू कर दी.
एक करोड़ रुपये से अधिक का टर्नओवर
खेती शुरू करने से पहले स्मारिका रायपुर कृषि को और बेहतर तरीके से समझने के लिए कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेने लगीं. इससे उन्हें बहुत फायदा हुआ. मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार सही बीज और सही फसल का चुनाव किया. अब वह अपने कृषि फार्म से रोजाना 12 टन टमाटर और 08 टन बैंगन की पैदावार हो रही है. इन सब्जियों की सप्लाई देश के विभिन्न प्रदेशों में हो रही है इसके अलावा वह इन सब्जियों को बेचने के लिए ऑनलाइन ऑर्डर लेती हैं और सप्लाई करती हैं. साथ ही अब उनका सालाना टर्नओवर एक करोड़ के अधिक है. साथ ही 150 लोगों को रोजगार भी दे रखा है.
नौकरी छोड़ने को लेकर क्या कहती हैं स्मारिका?
कृषि को करियर के तौर पर अपनाने को लेकर स्मारिका बताती हैं कि उन्होंने नौकरी से अपनी करियर की शुरुआत की थी. चार साल तक पुणें में रहीं, उसके बाद रायपुर शिफ्ट हो गईं और फिलहाल अपने गांव में रहकर खेती करती हैं. परिवार से लगाव होने के कारण उन्होंने पिताजी की बीमारी के बाद खेती करने का मन बनाया और आज वो अपने काम से पूरी तरह संतुष्ट हैं. एक्सपोर्ट कर सकें.