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युवाओं में बढ़ रही है मानसिक स्वास्थ्य की ये समस्या, जानिए ओसीडी से जुड़े मिथ्स और फैक्ट्स

मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्याओं में ओसीडी की दिक्कत काफी सामान्य होती जा रही है। व्यवहार में विकार से संबंधित यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। ओसीडी यानी कि ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर, इसमें व्यक्ति को अक्सर कुछ बातों को लेकर चिंता बनी रहती है। वह न चाहते हुए भी एक ही काम को बार-बार दोहराते रहते हैं। इस तरह की आदतों के चलते कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ओसीडी के लक्षण ज्यादातर स्थितियों में हल्के होते हैं पर कुछ लोगों में यह व्यवहार में गंभीर समस्याओं का भी कारण बन सकती है। बिहेवियर पर कंट्रोल न होने के कारण सामाजिक और मानसिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ओसीडी की स्थिति वैसे तो ज्यादा गंभीर नहीं होती है, हालांकि अक्सर लोगों को इसके बारे में सही जानकारी नहीं होती है जिसके कारण यह समस्या बढ़ जरूर सकती है। इसको लेकर हमारे समाज में कई तरह के मिथ्स हैं जिनको ज्यादातर लोग सच मानते आ रहे हैं। आइए ओसीडी की समस्या और इससे जुड़े कुछ मिथ्स और फैक्ट्स के बारे में जानते हैं।

ओसीडी के बारे में जानिए

ओसीडी, जैसा कि ऊपर बताया गया कि यह व्यवहार से संबंधित समस्या है, इसमें लोगों को कुछ विशेष प्रकार का डर होता है जिसे ठीक करने के लिए वो बाध्यकारी रूप से बार-बार प्रयास करते रहते हैं।
सफाई होने के बाद भी गंदगी नजर आते रहना।
किसी प्रकार की अनिश्चितता को लेकर परेशान रहना।
नियंत्रण खोने की समस्या जिसमें खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने के विचार आते हैं।
आइए ओसीडी के बारे में कुछ मिथ्स के बारे में जानते हैं जिन्हें अक्सर ज्यादातर लोग सच मानते आ रहे हैं।

मिथ- ओसीडी को ठीक नहीं किया जा सकता है।

फैक्ट- ओसीडी की समय पर पहचान कर उचित उपचार और थेरेपी के माध्यम से इसे ठीक किया जा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बहुत से लोग ओसीडी का इलाज नहीं कराते क्योंकि उनके मन में शर्म और झिझक की भावना होती है। पर अगर समय रहते स्थिति का निदान और इलाज करा लिया जाए तो इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।

मिथ-ओसीडी सिर्फ बुजुर्गों को ही होती है

फैक्ट- ओसीडी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। 15 साल से कम आयु के बच्चों और 60 साल की आयु के बुजुर्ग को भी यह समस्या हो सकती है। इसके कई कारक हैं जिनपर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। तनाव के शिकार लोगों में ओसीडी के लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो इसके कारण अवसाद जैसी समस्याओं का जोखिम हो सकता है।

मिथ- ओसीडी के शिकार लोग जीवन के सामान्य कामकाज नहीं कर सकते।

फैक्ट- ओसीडी की समस्या में भी आप सामान्य जीवन जी सकते हैं, डॉक्टर कहते हैं- ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं होता है कि उन्हें ओसीडी है और वे सामान्य जीवन जीते हैं। हां अगर लक्षण बिगड़ रहे हैं और इसके कारण व्यवहार में अप्रत्याशित रूप से बदलाव देखा जा रहा है तो इस बारे में समय रहते विशेषज्ञ से मिलकर इलाज की प्रक्रिया जरूर शुरू कर लेनी चाहिए।

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