दुनियाभर में एक बार फिर कच्चातिवु द्वीप चर्चा का विषय बन गया है। एक तरफ भारत में इस द्वीप को लेकर राजनीति गर्मा गई है। इस बीच श्रीलंका की प्रतिक्रिया आई है। उसका कहना है कि उसकी कैबिनेट में कच्चातिवु को लेकर अबतक चर्चा नहीं हुई क्योंकि इस मामले को कभी उठाया ही नहीं गया था।
CAA (नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019) और जोगेन्द्र नाथ मंडल
यह है मामला
गौरतलब है, हाल ही में एक आरटीआई रिपोर्ट को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाए कि किस तरह बेरहमी से उसने सन् 1974 में कच्चातिवु को छोड़ दिया था। तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई ने आरटीआई दायर कर कच्चातिवु के बारे में पूछा था। आरटीआई सामने आने पर पता चला है कि सन् 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके ने एक समझौता किया था।
इसके तहत कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को औपचारिक रूप से सौंप दिया गया था। बताया गया है कि इंदिरा गांधी ने तमिलनाडु में लोकसभा अभियान को देखते हुए यह समझौता किया था। संसद के आधिकारिक दस्तावेजों और रिकॉर्ड से पता चलता है कि किस तरह अस्थिर भारत पाक जलडमरूमध्य में द्वीप पर नियंत्रण की लड़ाई एक छोटे देश से हार गया, जो इसे छीनने के लिए प्रतिबद्ध था।
श्रीलंका का बयान
कैबिनेट प्रवक्ता और सूचना मंत्री बंडुला गुणवर्धन ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा, ‘कैबिनेट ने इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की क्योंकि इसे कभी उठाया ही नहीं गया।’
आंखें खोलने और चौंकाने वाला सच: पीएम मोदी
इस मामले में कांग्रेस को घेरते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को एक मीडिया रिपोर्ट साझा की थी। उन्होंने कहा था, ‘आंखें खोलने और चौंकाने वाला सच सामने आया है। नए तथ्यों से पता चलता है कि कांग्रेस ने किस तरह बेरहमी से कच्चातिवु को छोड़ दिया था। इसने हर भारतीय को नाराज कर दिया है। हम कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं कर सकते। भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना कांग्रेस का 75 सालों से काम करने का तरीका रहा है।’