वाराणसी: विदेशी सैलानी काशी के मंदिरों, धरोहर और संस्कृति को देखने ही नहीं आते, बल्कि काशी को जीने भी आते हैं। स्वर्णमयी काशी विश्वनाथ धाम का आकर्षण सात समंदर पार के सनातन धर्मियों में भी है। यही कारण है कि पिछले दो साल में 139 देशों के शिवभक्तों ने बाबा के दरबार में दर्शन-पूजन किया है।
धर्म, अध्यात्म और संस्कृति को जानने के लिए सात समंदर पार से काशी आने वाले विदेशी पर्यटकों का सिलसिला लंबे समय से बना हुआ है। नव्य भव्य श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारित होने के बाद धाम में आने वाले श्रद्धालुओं के देशों के भक्तों की संख्या बढ़ गई है। बड़ी संख्या में सैलानी श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन करने भी बनारस पहुंच रहे हैं।
मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि धाम के लोकार्पण के बाद लगभग 25 महीनों में बाबा के दरबार में 139 देशों के भक्तों ने हाजिरी लगाई है। वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2023 में केवल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या में ही चार गुने से भी अधिक की वृद्धि हुई है।
घूमने ही नहीं, काशी को जीने आते हैं विदेशी
विदेशी सैलानी मंदिरों, धरोहर और संस्कृति को देखने ही नहीं आते, बल्कि काशी को जीने भी आते हैं। विदेशी पर्यटक हिंदी, संस्कृत, संगीत और मंत्रों को सीखने के लिए काशी में कई दिनों तक रहते भी हैं। काशी की दुनिया से अच्छी कनेक्टिविटी, सुरक्षा, मूल-भूत ढांचा में सुधार से बढ़ी सुविधाओं ने काशी में पर्यटकों का रुझान और बढ़ा दिया है। अनेक गैर सनातन मतावलंबी काशी आते हैं, परंतु मंदिर में दर्शन के लिए नहीं जाते हैं। बड़ी संख्या में सारनाथ होते हुए बौद्ध परिपथ के विदेशी पर्यटक, तंत्र, शाक्त, क्रिया योग, जैन, अघोरपंथ के बड़े आश्रमों एवं साधना स्थलों पर पहुंचते हैं।