सेवानिवृत्ति किसी नौकरीपेशा व्यक्ति के जीवन का वह सुनहरा चरण होता है, जहां उसे पैसे कमाने के लिए काम नहीं करना पड़ता है। जिम्मेदारियां कम होती हैं, जबकि समय अधिक। यह चरण खूबसूरत और वित्तीय रूप से स्वतंत्र तभी हो सकता है, जब व्यक्ति आर्थिक रूप से सुरक्षित हो और इस परिवर्तन के लिए तैयार हो। नौकरी के बाद खुशहाल जीवन के लिए एक और महत्वपूर्ण बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए…बढ़ती महंगाई का।
लगातार बढ़ती महंगाई किराने के सामान, बिजली की लागत से लेकर किराया और मेडिकल की लागत तक, सभी वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों को प्रभावित करती है। महंगाई दर को 5.3 फीसदी मानकर गणना करें तो आज 30,000 रुपये का मासिक खर्च अगले 30 साल में बढ़कर 1.40 लाख रुपये हो जाएगा। वह भी तब, जब आप उसी जीवनशैली को अपनाए रहें। इस गणना में लाइफ स्टाइल महंगाई को जोड़ दें तो मासिक बजट और बढ़ जाएगा।
चाहत और तैयारी में 3.3 करोड़ का अंतर
अगर हम अभी 30,000 रुपये मासिक खर्च मान लें तो 5.3 फीसदी की महंगाई दर के हिसाब से अगले 30 साल में यह रकम बढ़कर 1.40 लाख रुपये तक पहुंच जाएगी। यानी अभी जिन जरूरतों को पूरा करने के लिए 30,000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, इसके लिए 30 साल बाद 1.40 लाख की जरूरत होगी। यह मानते हुए कि लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी जीवन प्रत्याशा 90 साल है, उसी जीवनशैली को बनाए रखने के लिए व्यक्ति को 5.1 करोड़ रुपये के सेवानिवृत्ति फंड की जरूरत होगी। ऐसे में हम जिस तरह की सेवानिवृत्ति चाहते हैं और जिसकी तैयारी कर रहे हैं, उसके बीच 3.35 करोड़ रुपये का बड़ा अंतर है।
अंतर को ऐसे समझें
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिटायरमेंट के अध्ययन के मुताबिक, भारत में औसत सेवानिवृत्ति बचत दर सालाना आय का सिर्फ 8 फीसदी है। मान लीजिए, 30 लोगों का औसत सालाना वेतन 10 लाख है और वे सेवानिवृत्ति के लिए हर साल 80,000 रुपये बचाते हैं। अगर कोई इसे 30 साल तक जारी रखता है तो उसके पास 1.75 करोड़ रुपये का फंड जमा होगा, जबकि जरूरत 5.1 करोड़ रुपये की होगी।