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अस्पतालों को प्रदूषण से बचाने को पर्यावरण प्रबंधन योजना जारी, ज्यादा प्रदूषित शहरों में होगी लागू

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने विशेषज्ञ समिति की सलाह पर पर्यावरण प्रबंधन योजना तैयार की है। इसमें मंत्रालय ने कहा है कि पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाने में अस्पतालों का भी योगदान है, जबकि यह खुद प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं। इसके खिलाफ सख्ती से निपटा जाए।

मंत्रालय ने हिदायत दी है कि हर उपकरण परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) से पंजीकृत होना चाहिए। अस्पतालों में विकिरण सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति की जाए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि यह पर्यावरण प्रबंधन योजना अस्पताल और वहां आने वाले मरीजों दोनों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तैयार की है।

दिल्ली-एनसीआर में सभी एजेंसियां करेंगी कार्य

केंद्र ने दिल्ली और एनसीआर के अस्पतालों में पर्यावरण प्रबंधन योजना लागू करने के लिए सभी एजेंसियों को मिलकर कार्य करने की जिम्मेदारी सौंपी है। उदाहरण के तौर पर दिल्ली के अस्पतालों में दिल्ली पुलिस, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगम, डीडीए और स्वास्थ्य विभाग मिलकर कार्य करेंगे।

एक मरीज, एक तीमारदार का नियम

सरकार ने भीड़ पर नियंत्रण के लिए एक मरीज, एक तीमारदार का नियम भी अनिवार्य किया है। ओपीडी काउंटर की संख्या बढ़ाएं और ऑनलाइन पंजीयन अनिवार्य करें। वरिष्ठ नागरिकों, विकलांगों, गर्भवती महिलाओं, कैंसर मरीजों के लिए अलग से काउंटर होने चाहिए। वहीं शाम को भी ओपीडी संचालित कर सकते हैं। सामान्य मरीजों को घर बैठे इलाज के लिए ई संजीवनी योजना पर भी काम करें।

मरकरी वाले थर्मामीटर का इस्तेमाल नहीं
र्यावरण प्रबंधन योजना के तहत सरकार ने सभी अस्पतालों में मरकरी यानी पारा आधारित थर्मामीटर और रक्तचापमापी उपकरणों पर प्रतिबंध लगाया है। मरकरी आधारित उपकरणों के इस्तेमाल से बचना है। अस्पतालों के आसपास तंबाकू का उपयोग और बिक्री पर प्रतिबंध है।

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