बिजनाैर। दो वक्त की रोजी-रोटी के लिए मजदूरी करने के लिए संग गए। आते हुए पीली नदी में डूबे तो मरते दम तक साथ नहीं छोड़ा। तीनों के शव एक दूसरे से लिपटे मिले थे। तीन अर्थियां एक साथ उठीं तो हर आंख नम हो गई। जिनका रामगंगा नदी के घाट पर गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार कर दिया। यहां भी भाइयों के प्रेम की मिसाल देखने को मिली। तीनों भाई एक ही चिता पर पंचतत्व में विलीन हो गए।
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बुधवार को गांव रफैतपुर निवासी तीन सगे भाइयों ओमप्रकाश (40), तेजपाल (25) तथा जय सिंह (21)पीली नदी में डूबने से मौत हो गई थी। तीनों भाइयों के शव करीब आठ घंटे बाद 150 मीटर दूर मिले थे। अचानक नदी में आए पानी को पार करते समय तेजपाल व जय सिंह डूबने लगे तो ओमप्रकाश उन्हें बचाने लगा। दरअसल ओमप्रकाश तैरना जानता था। जबकि वे दोनों तैरना नहीं जानते थे।
ओमप्रकाश ने अपने भाइयों को बचाने का बहुत प्रयास किया वह उन्हें नहीं बचा सका ओर स्वयं भी उनके साथ मौत के आगोश में चला गया। गांव में भाइयों के लिए जान देने की मिसाल पेश कर गया। जब उनके शव नदी से निकाले गए तब तीनों भाई एक दूसरे से लिपटे थे। जिसे देख हर किसी की आंखें नम हो गईं।
वहीं पोस्टमार्टम के बाद गाड़ी से तीनों भाईयों के शव गांव पहुंचे। तो उनके घर पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी। परिजनों में चीख-पुकार मच गई। तीन-तीन अर्थियां एक साथ देखकर भीड़ में मौजूद लोग भी रो उठे। इसके बाद तीनों भाई की शव यात्रा निकाली गई।शवयात्रा में भी भारी भीड़ रही। भूतपुरी रामगंगा घाट पर तीनों भाइयों के शव का एक ही घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया। सिर्फ इतना ही नहीं तीनों भाइयों के अंतिम संस्कार के लिए सिर्फ एक चिता ही लगी। एक ही चिता पर तीनों भाई पंचतत्व में विलीन हो गए।