- Published by- @MrAnshulGaurav
- Sunday, June 19, 2022
पश्चिम की उपभोग वादी जीवन-शैली ने प्रकृति का अमर्यादित दोहन किया है. इससे पर्यावरण संकट लगातर बढ़ रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक सम्मेलन होते हैं .लेकिन विकसित देशों के पास इस समस्या का कोई समाधान नहीं है.इसका समाधान केवल भारतीय चिंतन में निहित हाँ. सद्गुरु वासुदेव की यात्रा इसी विचार से प्रेरित है. उन्होंने ने लंदन में अपने ‘जर्नी टू सेव सॉइल’ अभियान की शुरुआत की थी.
वह मिट्टी के क्षरण के कारण दुनिया के सामने उभरने वाले खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सौ दिवसीय मोटरसाइकिल यात्रा पर है.सत्ताईस देशों से यात्रा निकली. 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भारत के कावेरी बेसिन में इसका समापन होगा. वह बता रहे है कि मिट्टी में जब दशमलव पांच प्रतिशत से कम ऑर्गेनिक कंटेंट बचते हैं, तब वह रेत में तब्दील होने लगती है. ऐसे में भूमि में तीन से छह प्रतिशत जैविक तत्व होना आवश्यक है.
देश की भूमि में 0.68 प्रतिशत जैविक तत्व की मौजूदगी बताई गई है. मरुस्थलीकरण होने का खतरा बढता जा रहा है। इसलिए मिट्टी बचाओ अभियान के तहत लोगों को जागरुक कर जैविक खेती,विष रहित खेती, गौ आधारित खेती को बढाना और कैमिकल्स व कीटनाशकों का कम से कम उपयोग करने के प्रति जागरुक करना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैविक कृषि और गौ आधारित कृषि पर पूरा जोर दे रहे हैं. इसके लिए वह विरोधियों का हमला भी झेलते हैं. किन्तु वह वर्तमान के साथ भविष्य पर भी ध्यान देते हैं.
मिट्टी बचाओ अभियान के क्रम में ही उनकी सरकार ने पहले कार्यकाल में सौ करोड़ पौधों का रोपण किया था. इस वर्ष पैंतीस करोड़ पौधे लगाएं जायेगे.योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वैदिक काल से ही हमें सिखाया जाता रहा है कि धरती हमारी माता है। हम लोग अपने स्वास्थ्य की नियमित परीक्षण कराते हैं, ताकि हम हम स्वस्थ्य और आरोग्य रहें। मगर हम लोग कभी अपनी धरती मां की चिंता नहीं करते। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वायल हेल्थ शुरू किया था। नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगोत्री से गंगासागर तक करीब पच्चीस सौ किलोमीटर तक के गंगा के कठिन सफर पर काम किया। सदगुरू ने बताया कि तीन चरणों वाली व्यावहारिक रणनीति से मिट्टी में जैविक तत्वों के प्रतिशत को सफलतापूर्वक बढ़ाया जा सकता है।
जिसमें पहले चरण में न्यूनतम तीन से छह प्रतिशम जैविक तत्व हासिल करने वाले किसान के लिए सरकार एक आकर्षक प्रोत्साहन योजना बनाकर आर्थिक लाभ दे। दूसरे चरण में किसानों को कार्बन क्रेडिट का लाभ देने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाएगा। तीसरे चरण में जैविक तत्वों वाली मिट्टी से उगाए भोज्य पदार्थों को चिन्हित कर उन्हें अधिक कीमत में बेचने के साथ जैविक व गैर जैविक उत्पादों के बीच अंतर रखा जाए। उन्होंने कहाकि बुंदेलखंड असीम संभावनाओं का क्षेत्र है। यहां मिट्टी में जैविक तत्व लगभग खत्म हो चुके हैं। इन्हें पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है.