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बरेली में कुल की रस्म के साथ उर्स का समापन, सड़कों पर जायरीनों का सैलाब

बरेली:  बरेली में आला हजरत फाजिले बरेलवी के कुल शरीफ की रस्म शनिवार को जायरीन के भारी हुजूम की मौजूदगी में इस्लामियां इंटर कालेज मैदान पर अदा की गई। इसी के साथ तीन दिवसीय उर्स-ए-रजवी का समापन हो गया। इस मौके पर मेहमान-ए-खुसूसी मारहरा शरीफ के सज्जादानशीन मौलाना सैयद नजीब हैदर मियां ने कहा कि हम अपने हक की लड़ाई अपने मुल्क के बनाए कानून के दायरे में रहकर जारी रखें। आगे कहा कि ‘मैं अली की औलाद हूं और मेरे रगों में मौला अली, शहीद-ए-कर्बला हजरत इमाम हुसैन का खून है। हम हक बयान करने आए हैं। साथ ही सोशल मीडिया और यू ट्यूबर वाले उलमा से दूर रहने की हिदायत दी।

नबीरे आला हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान (तौसीफ मियां) ने कहा कि आदम अलैहिस्सलाम का जिसने दामन पकड़ लिया वो पार पा गया। जिसने इबलीस का साथ पकड़ा वो हलाक हो गया, जो नबी करीम के बताए रास्तों पर चलते हुए अहले हक पर रहा वहीं फैज पा गया।

मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने कहा कि जो सबसे बड़ा आशिके रसूल वही सच्चा मुसलमान सबसे बड़ा देश का वफादार है। मुसलमानों को अपने देश प्रेमी होने का किसी से प्रमाण की जरूरत नहीं है। हम अपने मज़हब और मुल्क के सच्चे वफादार बने रहें। मुसलमान आपने आप को कमतर न आंके। उन्होंने कहा कि आला हजरत का वफादार कल भी अपने मज़हब का और अपने मुल्क का वफादार है और रहेगा। बड़े बड़े सुन्नी उलमा ने देश के लिए अपनी कुर्बानियां दी हैं। सोशल मीडिया पर गैर मसलक के लोगों की तकरीर सुनने से परहेज करें। नशे और जुए, शराब जैसी सामाजिक बुराइयों से दूर रहें। लड़कियों के लिए सरकार स्कूल खोले और तालीम को आम करने का काम करे।

मुफ्ती इमरान हनफी ने कहा कि आज दुनिया का सबसे बड़ा समाज सुधारक कोई है तो हमारे नबी हैं जिन्होंने इंसान के हक के लिए आवाज बुलंद की। पशु-पक्षियों के हक की भी बात की। मौलाना सलीम रजा ने तकरीर में कहा कि आज का मुसलमान सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ अपनी जरूरत के मुताबिक करे। दीनी मसले-मसाइल सुन्नी उलमा से ही सीखे।

मुफ्ती फारूक रजा कश्मीरी ने कहा कि हिंद में कन्या कुमारी से लेकर कश्मीर तक आला हज़रत की तालीमत (शिक्षा) पर अमल किया जा रहा है। मुफ्ती अर्सलान रजा कादरी ने आला हजरत फाजिले बरेलवी पर तकरीर की।

हज़रत मुफ्ती रहमानी मियां साहब के नवासे सैयद सैफ मियां ने आला हजरत की नातिया शायरी से नबी करीम की अजमत बयान की। संचालन करते हुए कारी यूसुफ रजा संभली ने कहा कि आला हजरत ने मुसलमानों को इश्क-ए-रसूल की घुट्टी पिलाई। जब-जब मजहबी, रूहानी, खानकाही जरूरत पेश आई आला हजरत और उनकी औलादों ने कयादत किया।

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