अलीगढ़। लोकसभा चुनाव 2024 पर नजर डालें तो अलीगढ़ संसदीय सीट पर कुल 14 प्रत्याशी मैदान में थे। जिले की पांच विधानसभा सीटों में भाजपा दो सीटों पर जीती और तीन में हार गई थी। खैर विस क्षेत्र में पार्टी 1401, कोल विस क्षेत्र में 29041 और शहर विस क्षेत्र में 5141 वोटों से हारी थी।
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अतरौली विस क्षेत्र में 18113 और बरौली विस क्षेत्र में 36560 मतों से जीती थीं। खैर में हुई इस हार के बाद पार्टी ने छह महीने जनता के बीच काम किया और हार को जीत में बदल दिया। नतीजा ये कि इस सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा के सुरेंद्र दिलेर ने सपा की चारू कैन को 38393 मतों से करारी शिकस्त दी है।
लोकसभा चुनाव में खैर विधानसभा क्षेत्र में 59.88 फीसदी पुरुष और 54.61 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया था, कुल मतदान प्रतिशत 55.79 प्रतिशत रहा था। इसमें सपा प्रत्याशी चौ. बिजेंद्र सिंह को 95391, भाजपा के सतीश गौतम को 93,900 और बसपा उम्मीदवार बंटी उपाध्याय को 20,984 मत मिले थे। भाजपा 1401 मतों से इस विधानसभा में लोकसभा चुनाव में हारी थी।
इस हार का प्रमुख और पहला कारण भाजपा से लगातार तीसरी बार प्रत्याशी रहे सतीश गौतम के खिलाफ स्थानीय नाराजगी होना था। दूसरा सपा प्रत्याशी चौ.बिजेंद्र सिंह का जाट समुदाय से होना था, माना जा रहा था कि शायद अब उन्हें चुनाव लड़ने का मौका न मिले। इसके अलावा तीसरा बड़ा कारण खैर के बाईसी (ब्राह्मण बहुल गांव) गांवों में ही भाजपा के ब्राह्मण प्रत्याशी सतीश गौतम को भरपूर समर्थन नहीं मिलना था। इसके विपरीत वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा खैर विधान सीट पर 71,449 वोटों से जीती थी।
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बहरहाल, उपचुनाव में भाजपा के जीतने की वजह प्रत्याशी सुरेंद्र दिलेर का स्थानीय और एक प्रतिष्ठित राजनीतिक घराने से होना माना जा रहा है। वह खैर से सटी बरौली विधानसभा क्षेत्र के गांव दौरऊ के मूल निवासी हैं। उनके पिता राजवीर दिलेर और बाबा किशनलाल दिलेर दोनों सांसद रह चुके थे।
इस परिवार को कोल विधानसभा, इगलास विधानसभा, हाथरस संसदीय सीट में राजनीति का चार दशक लंबा अनुभव रहा है। इन तीनों सीटों पर परिवार अपना प्रतिनिधित्व कर चुका है। इसके अलावा खैर सीट छोड़कर हाथरस के सांसद बने अनूप प्रधान की स्वीकार्यता भी जीत की वजह मानी जा रही है।