जहां एक तरफ देश में डिजिटल पेमेंट बढ़ रहा है, दूसरी तरफ उससे जुड़े फ्रॉड भी। डिजिटल पेमेंट में यूपीआई (UPI) पेमेंट सबसे आगे है और लोग किराना स्टोर से लेकर महंगे रेस्टोरेंट की बिल पेमेंट और ट्रेन टिकट बुकिंग से लेकर होटल बुकिंग जैसे तमाम कामों के लिए यूपीआई पेमेंट कर रहे हैं। जिस तेजी से यूपीआई का इस्तेमाल बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से यूपीआई से जुड़े फ्रॉड भी बढ़ रहे हैं। इसे आप इस आंकड़े से समझ सकते हैं कि साल 2023 में देश में यूपीआई फ्रॉड के मामले 85% बढ़ गए।
बढ़ते मामले
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि साल 2023 में यूपीआई फ्रॉड के मामले 85% बढ़ गए। उन्होंने बताया कि जहां वित्त वर्ष 2022-23 में 8,300 करोड़ (8371।43) से ज्यादा यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए और उनमें करीब 140 (139।15) लाख करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ, 2023-24 में ये आंकड़ा क्रमश: 13,100 (13,112।96) करोड़ से ज्यादा और करीब 200 (199।96) लाख करोड़ रुपए था। इसी तरह वित्त वर्ष 2022-23 में यूपीआई फ्रॉड के 7।2 लाख (7।25 लाख) से ज्यादा मामले हुए जिनमें लोगों को 573 करोड़ रुपए की चपत लगी, 2023-24 में यूपीआई फ्रॉड के मामलों की संख्या 13।4 लाख (13।42 लाख) से ज्यादा थी और इनमें लोगों से कुल 1,087 करोड़ रुपए ठगे गए। यानी एक साल में यूपीआई फ्रॉड के मामले करीब 85% बढ़ गए। वहीं, चालू वित्त वर्ष (2024-25) में सितंबर 2024 तक यूपीआई फ्रॉड के मामलों की संख्या 6।3 (6।32) लाख थी और इनमें कुल 485 करोड़ रुपए की ठगी की गई।
फ्रॉड पर रोक लगाने के उपाए
हालांकि वित्त राज्य मंत्री ने ये भी बताया कि बढ़ते यूपीआई फ्रॉड को रोकने के लिए पुरजोर उपाए किए जा रहे हैं। रिजर्व बैंक ने मार्च 2020 से सेंट्रल पेमेंट फ्रॉड इंफोर्मेशन रजिस्ट्री (CPFIR) शुरू की जो कि पेमेंट से जुड़ी फ्रॉड की जानकारी देने वाली एक वेब आधारित रजिस्ट्री है। सभी रेगुलेटेड इकाइयों (RE) को इस रजिस्ट्री मे पेमेंट संबंधी फ्रॉड की जानकारी देनी होती है।
उन्होंने ये भी बताया कि यूपीआई फ्रॉड सहित पेमेंट से जुड़े फ्रॉड को रोकने के लिए सरकार, रिजर्व बैंक और नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने समय-समय पर कई पहलें की हैं। इनमें कस्टमर के मोबाइल नंबर और डिवाइस के बीच डिवाइस बाइंडिंग, पिन के जरिए टू-फैक्टर ऑथेंटिफिकेशन, डेली ट्रांजेक्शन लिमिट आदि शामिल हैं। इसके अलावा एनपीसीआई ने सभी बैंकों को एक फ्रॉड मॉनिटरिंग सॉल्यूशन मुहैया कराया है जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग आधारित मॉडल के जरिए उन्हें फ्रॉड को रोकने की खातिर अलर्ट करता है और ट्रांजेक्शन को नामंजूर करने में सक्षम करता है।