उत्तर प्रदेश विधान भवन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिये सत्र के दौरान मंत्रियों और विधायकों के कामकाज और उपस्थिति की समीक्षा की जाएगी। इसका मकसद सत्र के दौरान विधान सभा और विधान मंडल में मंत्रियों और विधायकों की अधिक से अधिक मौजूदगी और सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा रहा है। नए वित्तीय सत्र में लागू करने की तैयारी है। इसी के साथ यूपी विधानसभा एआई सिस्टम से लैस देश की पहली विधानसभा होगी।
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बता दें यह कवायत विधायकों की विधायी कार्यो में बढ़ती अरूचि के कारण की जा रही है। विधानसभा सत्र के दौरान भी सदन में विधायकों और मंत्रियों की मौजूदगी कम रहती है। ऐसे मंत्रियों और विधायकों की बड़ी संख्या है जो अपने क्षेत्र से जुड़े सवाल या मुद्दे पर के दौरान तो सदन में रहते हैं, लेकिन उसके बाद चले जाते हैं। सदन में ज्यादा से ज्यादा सदस्य मौजूद रहें, इसके लिए एआई सिस्टम से दोनों सदनों को लैस किया जाएगा।
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ये सिस्टम प्रत्येक सदस्य के सदन में बैठने की अवधि, बार-बार आने जाने, सवाल पूछने, सक्रिय रहने जैसे बिंदुओं का रिकॉर्ड रखेगा। सत्र के दौरान होने विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन की कार्यवाही में अधिक से अधिक समय देने से जो अनुभव मिलेगा, यह पुस्तकों से नहीं मिल सकता। इसे सदन में बैठकर और बहस में भाग लेकर ही प्राप्त किया जा सकता है। सदन में उपस्थिति और योगदान से यह साफ हो जाएगा कि कौन विधायक कितनी गंभीरता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है।
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पूरी तरह डिजिटल हो चुकी यूपी विधानसभा की वेबसाइट द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी (एआई) का इस्तेमाल करके 1887 से लेकर वर्तमान तक जितनी भी विधायी कार्यवाही हुई हैं, सभी का आकड़ा जुटाया जायेगा। पिछले 137 वर्ष में यूपी विधानभवन के दोनों सदनों में किस नेता ने किस मुद्दे पर क्या और कब बोला, ये सेकेंडों में सामने आ जाएगा।