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Shrimad Bhagwat Katha : ये मत भूलिए कि जीव परमात्मा का अंश है : ज्योति किशोरी

सुलतानपुर। ब्लॉक करौदी कला (Karaudi Kala) अंतर्गत ग्राम सभा कम्मरपुर असलाहुद्दीनपुर (Kammarpur Aslahuddinpur) में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा छठे दिन वृंदावन से पधारी अंतरराष्ट्रीय कथा वाचिका पूज्या ज्योति किशोरी (Jyoti Kishori) ने कहा जब जीव में अभिमान आता है तो भगवान उससे दूर हो जाते है। लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्री कृष्ण (Shri Krishna) उस पर अनुग्रह (Blesses) करते हैं। उसे दर्शन देते हैं।

कथा वाचिका पूज्या ज्योति किशोरी ने गुरुवार को भगवान श्री कृष्ण के विवाह प्रसंग का बड़ा ही रोचक वर्णन किया। ज्योति किशोरी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणी के साथ संपन्न हुआ। लेकिन रुक्मणी को श्री कृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी हैं और वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती।

ज्योति किशोरी ने कहा कि यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक है, नहीं तो फिर वह धन को परमार्थ में लगाना चाहिए। जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है, नहीं तो फिर वह धन चोरी द्वारा बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। इसलिए धन को परमार्थ में लगाना चाहिए।

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इस मौके पर ग्राम प्रधान मनोज तिवारी, अंजनी उपाध्याय (सिंटू), धीरज उपाध्याय, ,रिंकज उपाध्याय, रविन्द्र उपाध्याय, विजय प्रकाश उपाध्याय, राहुल मिश्र, शुभम उपाध्याय, उमाकांत चौबे एवं हरिश्चंद्र यादव समेत बड़ी तादाद में भक्तजन उपस्थित रहे। भागवत कथा में आए हुए श्रद्धालुओं का संयोजक कृपा शंकर उपाध्याय एवं समाजसेवी शिवम उपाध्याय ने आभार व्यक्त किया।

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