फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) कंपनियों के लिए तीसरी तिमाही काफी मिली जुली रही। कंपनियों की आय तो बढ़ी लेकिन कच्चे माल की बढ़ती कीमतों की वजह से मार्जिन पर दबाव रहा। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों ने महाकुंभ के दौरान अपनी बिक्री को बढ़ाने के लिए उस ओर भी खर्च को बढ़ाया, जिसका असर वित्तीय वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में देखने को मिलेगा साथ ही मांग में सुधार और शहरी क्षेत्रों में सुधार के संकेत की वजह से कंपनियों की परेशानी कम होने की संभावना है। मोतीलाला ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2025 चौथी तिमाही में शहरी मांग में थोड़ा बहुत सुधार होने के संकेत है, तो दूसरी ओर केंद्रीय बजट 2025 में आयकर राहत तथा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती से शहरी मांग में सुधार होगा। जिसका असर कंपनियों की परिणामों दिखाई देगा। बावजूद इसके कंपनियों की मांग 10 तिमाही से कम बनी हुई है, हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में बिक्री में सुधार है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में मांग सुस्त है।
मुद्रास्फीति और कच्चे माल की बढ़ती लागत
आनंद राठी की रिपोर्ट के अनुसार कॉफी, चाय और कोको के साथ अन्य कमोडिटी की बढ़ती कीमतों की वजह से कंपनियों की लागत बढ़ रही है। पिछले कुछ महीनों में पॉम ऑयल के दाम और निर्यात भी चुनौती बना हुआ है। उद्योग के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक साल से कॉफी की कीमतें दोगुनी से अधिक है। गेहूं और पाम ऑयल की कीमतों में 20 से 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इन सभी वजहों से ब्रिटानिया तथा नेस्ले जैसी अधिकतर कंपनियों ने कई कैटेगरी में उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी भी की है, जिसकी वजह से मांग सुस्त बनी हुई है। एफएमसीजी क्षेत्र की अग्रणी कंपनी हिन्दुस्तान लिवर और डाबर जैसी कंपनियों ने वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में अपनी बिक्री में गिरावट देखी है।
बढ़ती लागत की वजह से कंपनियों ने विज्ञापन खर्च को कम किया
वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में एफएमसीजी कंपनियों ने अपने विज्ञापन खर्च को कम कर दिया है। यहां तक की आगामी आईपीएल को भी लेकर कंपनियों ने बजट पर विचार कर रही हैं। कंपनियों द्वारा हाल ही में वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही के परिणामों के आंकड़ों से पता चलता है कि हिन्दुस्तान यूनिलिवर का पिछले साल की तुलना में विज्ञापन खर्च को 8 प्रतिशत घटकर 1,466 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि पिछली तिमाही में इसमें 15 प्रतिशत की कमी आई थी। डाबर इंडिया का विज्ञापन व्यय 7.3 प्रतिशत से घटकर 225.7करोड़ रुपये रह गया है, जबकि कोलगेट पामोलिव का भारतीय परिचालन में 2 प्रतिशत की गिरावट के साथ यह 1,452 करोड़ रुपये रहा। विज्ञापन खर्च में कमी प्रमुख रूप से जरूरी वस्तुओं पर मुद्रास्फीति के दबाव के कारण देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से कंपनियों के मार्जिन पर दबा बना हुआ। जबकि गोदरेज और मैरिको ने अपने विज्ञापन व्यय को बढ़ाया है।