पूर्वी एशिया स्थित स्वशासित ताइवान को लेकर अब चाइना व अमरीका के बीच दूरियां बढ़ने लगी है. दरअसल चाइना ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश के रूप में देखता है चीन ने ताइवान को हमेशा से ऐसे प्रांत के रूप में देखा है जो उससे अलग हो गया है. चाइना मानता रहा है कि भविष्य में ताइवान चाइना का भाग बन जाएगा. यही कारण है कि ताइवान व चाइना के बीच लंबे समय से टकराव चल रहा है.इन सबके बीच ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ( Taiwan president Tsai Ing-wen ) अमरीका दौरे पर पहुंची हैं, जहां पर वह चार दिनों तक रूकेंगी. अमरीका ने ताइवान को एक स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दी है. इसको लेकर चाइना अमरीका से खफा है.
इससे पहले अमरीका व चाइना के बीच व्यापार को लेकर मतभेद सामने आ चुके हैं. हालांकि जापान के ओसाका में हुए G20 शिखर सम्मेलन के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुलाकात कर व्यापारिक मतभेदों को दूर करने पर सहमति जताई.
अमरीकी हथियार खरीद रहा ताइवान
ताइवान को अपने अधिकार क्षेत्र में करने के लिए चाइना सैन्य शक्ति का प्रयोग कर चुका है. इससे डरा ताइवान अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने पर लगातार कार्य कर रहा है.
लिहाजा अब ताइवान ने अमरीका के साथ सैन्य हथियार खरीदने के लिए समझौते कर रहा है. ताइवान ने अमरीकी कंपनी के साथ 2.2 बिलियन अमरीकी डॉलर (150.82 अरब रुपये) के हथियार खरीदने को लेकर समझौता करने के लिए कदम बढ़ाया है.
यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने 8 जुलाई को ताइवान के साथ मल्टीबिलियन डॉलर के हथियारों के सौदे को अपनी मंजूरी दी, जिसमें 108 M1A2T एब्राम टैंक व स्टिंगर मिसाइल शामिल हैं.
ताइवान के इस कदम से चाइना परेशान हो गया है. परेशान चाइना ने अमरीकी कंपनी को धमकी दी है. चाइना ने बोला कि यदि ताइवान के साथ कोई भी रक्षा सौदा अमरीकी कंपनी करता है तो उसपर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.
ताइवान ने चाइना को झटका देते हुए बोला वह किसी भी हाल में सुरक्षा बलों को मजबूत करना जारी रखेगा.
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बोला कि चाइना से बढ़ते सैन्य खतरे के मद्देनजर अमेरिकी हथियार ताइवान की आत्मरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं. देश की सेना अपने रक्षा बलों को मजबूत करना, राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना, अपनी सरजमीं की रक्षा करना जारी रखेगी. सेना यह सुनिश्चित करेगी कि देशी आजादी एवं लोकतंत्र पर हमला न हो.
ताइवान पर दबाव बनाने के लिए चाइना की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ( PLA ) ने चाइना के ‘दक्षिण-पूर्वी तट’ पर सैन्य एक्सरसाइज किया जिसमें नौसेना व वायु सेना दोनों शामिल थे.
ताइवार पर चीन-अमरीका में बढ़ती दूरियां
ताइवान के मुद्दे को लेकर चाइना व अमरीका के रिश्तों में दूरियां बढ़ती नजर आ रही है. चाइना ताइवान को अपने एक प्रांत के तौर पर देखता है. यही कारण है कि बीते दिनों चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नियमित रूप से ताइवान के पुन: एकीकरण का आह्वान किया है. यहां तक कि जनवरी में एक प्रमुख सम्बोधन में ताइवान पर बलपूर्वक शासन करने से मनाकर दिया.
अमरीका ताइवान को चाइना से अलग एक देश मानता है. ताइवान की स्वतंत्रता व संप्रभूता को मान्यता देता है. इसी को लेकर चाइना अमरीका से खफा है. अब ताइवान को सैन्य सामान बेचने के लेकर भी अमरीका से चाइना खफा हो गया है.
चीन ने अमरीका से दो टूक बोला है कि वाशिंगटन ताइवान को लेकर ‘oneChina’ के सिद्धांत का उल्लंघन कर रहा है. चाइना ने अमरीका से आग्रह किया है कि चीन-अमरीका संबंधों और शांति व स्थिरता को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए ताइवान के मामले को अच्छा से हैंडल करें.
हालांकि चीनी सरकार के विरोध के बावजूद ताइवान के राष्ट्रपति साई इंग-वेन को अमरीका ने वाशिंगटन में आने की इजाजत दी. इतना ही नहीं न्यूयॉर्क में ताइवान के शेष 17 सहयोगियों के प्रतिनिधियों के साथ एक सार्वजनिक मीटिंग की.
2020 में ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव
ताइवान में 2020 में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में राष्ट्रपति साई ने अमरीका में चाइना की आलोचना करते हुए ताइवान में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा करने की अपील की.
ताइवान के नेताओं ने जनवरी 2020 में होने वाले राष्ट्रीय चुनाव से पहले चाइना विरोधी रुख को तेजी से आगे बढ़ाया है.
साई इंग-वेन ने यह घोषणा की कि वह विपक्षी कुओमितांग राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हान कुओ-यू का सामना करेंगे, जिन्होंने 44% वोट के साथ अपनी पार्टी का नामांकन जीता है.हान कुओ-यू चाइना का समर्थक है.
हालांकि हान जून में एक रैली को बोला था कि ‘वन कंट्री, टू सिस्टम्स’ को ताइवान में कभी लागू नहीं किया जा सकता. ताइवान के लोगों ने इसे स्वीकार नहीं किया.