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भारतीय हॉकी के स्वर्णिम युग का एक और स्तंभ ढहा, ओलंपियन केशव दत्त का 95 वर्ष की आयु में निधन

जिस दिन हम सभी महान कलाकार युसूफ खान उर्फ दिलीप कुमार के निधन का शोक मना रहे थे, उसी दिन हॉकी इंडिया के दिग्गज खिलाड़ी केशव चंद्र दत्त का भी दुखद निधन हो गया। केशव दत्त ने बुधवार (7 जुलाई) रात लगभग 12 बजकर 30 मिनट पर अंतिम सांस ली। वह 95 वर्ष के थे, दत्त हॉकी में भारत के स्वर्णिम युग का हिस्सा थे।

वह एक बेहतरीन हाफबैक खिलाड़ी थे और 1948 में स्वतंत्र भारत की उस ऐतिहासिक उपलब्धि का हिस्सा थे, जहां भारतीय टीम ने लंदन के वेम्बली स्टेडियम में ओलंपिक फाइनल में घरेलू टीम ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से हराया था। 1948 के ओलंपिक से पहले, दत्त ने 1947 में महान हॉकी जादूगर मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में पूर्वी अफ्रीका का दौरा किया था।

29 दिसंबर 1925 को लाहौर, पाकिस्तान में पैदा हुए दत्त, 1952 में हेलसिंकी में ओलंपिक खेलों में भारतीय टीम का भी हिस्सा थे, जहां भारतीय टीम फाइनल में घरेलू टीम नीदरलैंड को 6-1 से हराकर लगातार पांचवीं बार ओलंपिक चैंपियन बनी थी। 1950 में कलकत्ता चले जाने के बाद, दत्त ने मोहन बागान का भी प्रतिनिधित्व किया। जो कई खेलों में उस समय का सबसे प्रसिद्ध भारतीय क्लब था।

सीएम ममता बनर्जी ने जताया शोक

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उनके निधन पर शोक जताया। ममता ने ट्वीट किया, “हॉकी जगत ने आज एक वास्तविक महान खिलाड़ी को खो दिया। केशव दत्त के निधन से दुखी हूं। वह 1948 और 1952 में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीमों का हिस्सा थे। भारत और बंगाल के चैंपियन। उनके परिवार और मित्रों के प्रति संवेदनाएं।”

हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निंगोमबम ने कहा है कि केशव दत्त का निधन दुनिया भर में हॉकी बिरादरी के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने कहा, “हम सभी आज सुबह महान हाफबैक खिलाड़ी केशव दत्त के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुखी हैं। वह 1948 और 1952 के ओलंपिक खेलों के एकमात्र जीवित सदस्य थे और आज वास्तव में एक युग का अंत हो गया।

हम सभी ओलंपिक में स्वतंत्र भारत के लिए उनकी यादगार यात्राओं की अविश्वसनीय कहानियां सुनकर बड़े हुए हैं। उन्होंने देश में हॉकी खिलाड़ियों की कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है। हॉकी इंडिया उनके निधन पर शोक व्यक्त करता है और फेडरेशन की ओर से मैं उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।”

दया शंकर चौधरी

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