बछरावां/रायबरेली। क्षेत्र के कुर्री सुदौली गांव में रायबरेली, लखनऊ और उन्नाव जनपदों की सीमाओं पर स्थित प्रख्यात भंवरेश्वर मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है । यहां सावन माह के सभी सोमवारों को कई जनपदों के लाखों शिवभक्त जलाभिषेककर भोले बाबा से अपने घर-परिवार वह देश की सुख-शांति समृद्धि की कामना का वरदान मांगते हैं।
रायबरेली जनपद के बछरावां विकासखंड के सीमावर्ती गांव सुदौली रियासत की जमीन व सई नदी के तट पर पर स्थित प्रख्यात भंवरेश्वर मंदिर का इतिहास है कि द्वापर युग में बारह वर्ष के वनवास के समय पांडव विचरण करते हुए यहां पहुंचे थे। यहां के बारे में यह मान्यता है कि कुंती का नियम था कि शिव की पूजा किए बिना जल तक ग्रहण नहीं करती थी।
आसपास शंकर जी का मंदिर न होने पर भीमेश्वर ने यहां शिवलिंग की स्थापना की तब कुंती ने प्राण प्रतिष्ठा कर पूजा-अर्चना की और यह शिवलिंग भीमेश्वर के नाम से विख्यात हुआ। द्वापर युग समाप्त हुआ और धीरे-धीरे पानी के बहाव व मिट्टी से ढक जाने के कारण यह शिवलिंग विलुप्त हो गया। सुदौली रियासत के राजा को एक रात यहां शिवलिंग होने का स्वप्न आया और उन्होंने खुदाई कराई और यह शिवलिंग अनादिकाल तक भीमेश्वर मंदिर के नाम से प्रख्यात रहा। मुगलिया सल्तनत में औरंगजेब के शासनकाल में मंदिरों को तुड़़वाया जा रहा था तभी औरंगजेब को मालूम हुआ कि फैजाबाद कमिश्नरी के दरियाबाद( रायबरेली ) जिले में मीरबाकी के देखरेख वाले इलाके में प्रख्यात भीमेश्वर मंदिर है और शिवलिंग के नीचे खजाना छुपा हुआ है।
औरंगजेब ने यहां पहुंचकर अपने सिपाहियों को शिवलिंग तोड़ने के आदेश दिए। कहा जाता है कि खजाने के लालच में शिवलिंग के आस-पास 85 फिट गहरा खोद दिया गया फिर भी शिवलिंग का दूसरा छोर नहीं मिल। इस पर औरंगजेब ने सिपाहियों को शिवलिंग में 10 हाथियों को जंजीरों से बांधकर खींचने का आदेश दिया। इस पर वहां मौजूद पुजारी और शिवभक्त प्रार्थना करने लगे कि- हे भोले अपनी रक्षा स्वयं करें। तभी शिवलिंग से लाखों की संख्या में भंवरे निकलकर औरंगजेब की सेना पर टूट पड़े और भंवरों के आक्रमण से सेना भाग खड़ी हुईं। तब से यहां का नाम भंवरेश्वर के नाम से विख्यात हो गया। कई दशकों से यहां पर लाखों भक्तों का आना जाना लगा रहता है।
सावन के पहले सोमवार के पावन अवसर पर यहां पर लाखों भक्तों का जन सैलाब उमड़ने के साथ ही जनपद सहित दूरदराज के क्षेत्रों से मेले में आए दुकानदारों द्वारा लकड़ी से बने सामानों एवं पशुओं की खरीद-फरोख्त भक्तगणों द्वारा पूरे माह तक की जाएगी। प्रशासन की ओर से भी लगभग 1 सप्ताह पूर्व से ही सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाए जाने को लेकर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात करने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं जिससे किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना न घटित हो सके।
रिपोर्ट- रत्नेश मिश्र