आज देशभर में 5 अगस्त को नाग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है. नाग पंचमी का पर्व सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. सनातन धर्म में नागों की पूजा करने का विधान बताया गया है. नागों में शेषनाग, वासुकि नाग,तक्षक नाग,कालिया नाग,कर्कोटक नाग प्रमुख माने गए हैं. खास बात यह है कि ये सभी नाग एक ही माता के पुत्र थे. आइए जानते हैं आखिर कौन थी इन सभी सर्पों की माता और क्या है इन सब की कहानी.
मां कद्रू-
पुराणों के अनुसार, महर्षि कश्यप ने राजा दक्ष प्रजापति की 17 पुत्रियों से विवाह किया था.लेकिन महर्षि को अपनी सभी पत्नियों में से कद्रू और विनता सबसे ज्यादा प्रिय थी. एक बार महर्षि ने खुश होकर अपनी दोनों प्रिय पत्नियों से उनसे एक वर मांगने के लए कहा. कद्रू ने महर्षि से 1000 पराक्रमी पुत्रों की मां बनने का वर मांगा तो विनता ने उससे विपरीत जाकर महर्षि से एक ऐसे पुत्र की कामना कि जो कद्रू के सभी पुत्रों का नाश कर सके. महर्षि के वरदान के बाद कद्रू ने 1000 अंडे दिए और कद्रू सभी सापों की माता बनी वहीं विनता ने गरूड़ को जन्म देकर उसकी मां बनी.
वासुकि नाग-
हिंदू धर्म ग्रंथों में वासुकि को सभी नागों का राजा बताया गया है. बता दें, यह वहीं नाग बताया जाता है जिसे भगवान शिव अपने गले में धारण करके रखते हैं. वासुकि की पत्नी का नाम शतशीर्षा है.
शेषनाग-
शेषनाग को अनंत के नाम से भी पहचाना जाता है. इस नाग की गिनती सबसे बलशाली नागों में की जाती है. मान्यता है कि भगवान नारायण क्षीरसागर में शेषनाग के आसन पर ही विराजित होते हैं.
तक्षक नाग-
पाताल में निवास करने वाले 8 नागों में से एक है तक्षक. पुराणों के अनुसार श्रृंगी ऋषि के शाप की वजह से तक्षक ने एक बार राजा परीक्षित को डस लिया था, जिसके बाद राजा परीक्षित के पुत्र ने क्रोध में आकर सर्प यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन जैसे ही यज्ञ करने वाले ब्राह्मणों ने अग्नि में तक्षक के नाम की आहुति डाली, ऋषि आस्तीक के कहने पर इस यज्ञ को रोक दिया गया. इस तरह कहीं जाकर तक्षक नाग की जान बची.
कालिया नाग-
यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ रहने वाले कालिया नाग के बारे में तो ज्यादातर सभी लोग जानते हैं. कालिया नाग के फन पर ही भगवान विष्णु ने नृतय किया था.