एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (नेशनल सिटिजन रजिस्टर) का फाइनल लिस्ट कल प्रकाशित होगा। अंतिम एनआरसी का प्रकाशन होते ही यह तय हो जाएगा कि पिछले साल के मसौदे से बाहर हुए 40 लाख लोगों में से कितने लोग NRC लिस्ट में जगह बना पाते हैं और कितने नहीं। गौरतलब है कि 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित मसौदे में 2.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे। इसके लिए कुल 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। मसौदे में 40 लाख लोगों को छोड़ दिया गया था। असम में NRC सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में तैयार की गई है।
इससे पहले असम की पुलिस ने प्रदेश में अफवाह और भ्रम की स्थिति पैदा करने वालों से निपटने के लिए कमर कस ली है। राज्य की पुलिस ने लोगों से भ्रम पैदा करने की कोशिश में जुटे तत्वों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों में नहीं आने अपील की है। पुलिस ने कहा कि सरकार ने उन लोगों के लिए समुचित सुरक्षा मानकों की व्यस्था की है जिनका नाम अंतिम NRC में नहीं आया हो। असम में NRC के प्रकाशन के दौरान शांति-व्यवस्था कायम रखने के लिए सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। सुरक्षा के मद्देनजर राज्य के विभिन्न हिस्सों में धारा 144 लगाई गई है। NRC को राज्य में मूल लोगों को अवैध बांग्लादेशियों से बचाने के लिए सुरक्षा कवच और असमी पहचान के सबूत के रूप में देखा जा रहा है। असम पुलिस ने ट्वीट कर कहा है कि ‘सरकार ने उन लोगों के लिए समुचित सुरक्षा मानक की व्यवस्था की है जिनका नाम यदि अंतिम NRC में नहीं आया। अफवाहों पर ध्यान मत दें, कुछ तत्व समाज में भ्रम पैदा करने की चेष्टा कर रहे हैं। नागरिकों की सुरक्षा हमारी शीर्ष प्राथमिकता है।’ गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि अंतिम NRC से बाहर रह गए सभी लोग विदेशी ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं। विदेशी ट्रिब्यूनल की संख्या बढ़ाई जा रही है।
क्या है एनआरसी ?
एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (नेशनल सिटिजन रजिस्टर) असम में अधिवासित सभी नागरिकों की एक सूची है और वर्तमान में राज्य के भीतर बोनाफाइड नागरिकों को बनाए रखने और बांग्लादेश से अवैध रूप से प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए अद्यतन किया जा रहा है।
क्या है मामला ?
असम में साल 1951 के बाद पहली बार नागरिकता की पहचान की जा रही है। इसकी प्रमुख वजह राज्य में बड़ी संख्या में अवैध तरीके से रह रहे लोग हैं। एनआरसी की अंतिम सूची सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बन रही है। दरअसल, साल 2018 में आई एनआरसी लिस्ट में 3.29 करोड़ लोगों में से 40.37 लाख लोगों का नाम नहीं शामिल था। अब फाइनल एनआरसी में उन लोगों के नाम शामिल किए जाएंगे, जो 24 मार्च 1971 से पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं। एनआरसी की सूची को अपडेट करने का मूल उद्देश्य उन लोगों की पहचान करना है, जो 20वीं शताब्दी की शुरुआत में पड़ोसी देश बांग्लादेश से भारी संख्या में असम में आकर बस गए हैं।