सिल्वर मेडल जीतकर में इतिहास रचने वाले ने बोला है कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेडल जीतने के बाद उन्हें इतना सम्मान मिलेगा। उन्होंने साथ ही बोला कि यहां तक पहुंचने में उनके पूर्व कोच अनिल धनकड़ का बहुत ज्यादा सहयोग रहा है और, “वे मुझसे भी ज्यादा सम्मान के हकदार हैं। ”
चैम्पियनशिप में सिल्वर जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज
पिछले वर्ष एशियाई खेलों में स्वर्ण मेडल जीतने वाले पंघाल ने इस वर्ष अप्रैल में 52 किलोग्राम भारवर्ग के ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल विजेता हु जिंगुआन को हराकर एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण मेडल जीता था व अब वह वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बने हैं।
कोच के सम्मान पर होगी ज्यादा खुशी
पंघाल ने कहा, “अगर मुझे पुरस्कार नहीं मिलता है तो इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मैं अपने देश के लिए पहले भी मेडल जीतता आया हूं व आगे भी जीतता रहूंगा, लेकिन मेरे कोच को अगर सम्मान दिया जाए तो मुझे बहुत खुशी होगी। ” उन्होंने कहा, “जब मैंने 2008 में मुक्केबाजी प्रारम्भ की थी, तभी से अनिल सर मेरा मार्गदर्शन करते आ रहे हैं। अब भी अगर मुझे किसी तरह की कोई कठिनाई होती है तो अनिल सर ही मेरा मार्गदर्शन करते हैं। ”
दूसरे वर्ष भी नहीं भेजा गया अवार्ड के लिए नाम
पंघाल के व्यक्तिगत कोच अनिल का नाम ‘नियमों’ का हवाला देकर लगातार दूसरे वर्ष द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नहीं भेजा गया था। भारतीय मुक्केबाज ने कहा, “अगर शुरुआती दिनों में कोच मेरी मदद नहीं करते तो मैं आज यहां नहीं होता। अगर उन्हें पुरस्कार मिलता है तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी। मुझे नहीं पता कि मैं किस सम्मान का हकदार हूं, लेकिन मेरे कोच मुझसे भी बड़े सम्मान के हकदार हैं। ”
52 किलोवर्ग में भाग लेंगे अमित
पंघाल ने 48 किलोग्राम भारवर्ग में पिछले वर्ष एशियाई खेलों में स्वर्ण मेडल जीता था। लेकिन ओलंपिक में 48 किलोग्राम भारवर्ग नहीं होने के कारण उन्होंने 52 किलोग्राम भारवर्ग में उतरने का निर्णय किया जो एक ओलंपिक भारवर्ग है। उन्होंने बोला कि दुनिया चैंपियनशिप में इतिहास रचने के बाद अब उनका लक्ष्य टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना है। चाइना में अगले वर्ष की आरंभ में एशिया/ओसेनिया जोन होनी है, जो ओलंपिक क्वालीफायर्स है।
ओलंपिक में खेलना लक्ष्य
दुनिया मेडल विजेता पंघाल ने कहा, “ओलंपिक में खेलना किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है व मेरा भी यही लक्ष्य है, लेकिन उससे पहले जो क्वालीफाइंग राउंड होंगे, उसमें मेरा लक्ष्य पहले ही राउंड में अपने लिए व अपने देश के लिए ओलंपिक कोटा हासिल करना है। ”
ऐसे मिल सकता है ओलंपिक कोटा
दुनिया चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाले भारतीय मुक्केबाजों को एशिया/ओसनिया ओलंपिक क्वालीफायर्स के लिए ट्रायल्स नहीं देना होगा। पंघाल को अब अगले महीने चाइना के वुहान में होने वाले सैन्य दुनिया खेलों में भाग लेना हैं व उन्होंने इसे लेकर कहा, “वहां ऐसे मुक्केबाज हैं, जो ज्यादातर सेना में हैं। उनके विरूद्ध खेलना अलग ही तरह का अनुभव होगा व ये अनुभव ओलंपिक क्वालीफायर में कार्य आएगा। “