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यूपी : उपचुनाव में बसपा की फजीहत, हुई जमानत जब्त, मायावती के सामने अब ये है मुसीबत

यूपी में 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर ताल ठोका था, लेकिन हालत ये हुई कि 6 सीटों पर बसपा की जमानत जब्त हो गई। बसपा सुप्रीमों मायावती की चिंता यही नहीं रुकती, अब उनके सामने मुसीबत ये है कि उन्हें अपना कोर वोट बैंक बचाना होगा।

हालत ये है कि यूपी में हुए उपचुनाव में बसपा के सामने वापसी करने का एक मौका था, लेकिन हुआ ये कि 11 सीटों पर हुए इस उपचुनाव में उसका खाता ही नहीं खुला। इतना ही नहीं रामपुर, लखनऊ कैंट, जैदपुर, गोविंदनगर, गंगोह और प्रतापगढ़ ऐसी ही सीटें हैं, जहां बसपा के प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। जमानत बचाने के लिए कुल पड़े वैध वोटों का 16.66 फीसदी चाहिए होता है लेकिन, बसपा को रामपुर में 2.14 फीसदी, लखनऊ कैंट में 9. 64 फीसदी, जैदपुर में 8.21 फीसदी, गोविंद नगर में 4.52 फीसदी, गंगोह में 14.37 फीसदी और प्रतापगढ़ में 12.74 फीसदी वोट में सिमट गई। विधानसभा चुनाव में बसपा का मत सपा से पांच फीसदी कम रहा. सपा को जहां 22. 57 प्रतिशत वोट मिले तो वहीं बसपा को महज 17 प्रतिशत में ही संतोष करना पड़ा।

उत्तर प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र और हरियाणा में बसपा का खाता नहीं खुला है। जहां पर मायावती स्वयं प्रचार करने भी गई थीं। बसपा मुखिया 2022 में सत्ता वापसी के सपने को उपचुनाव के नतीजों ने चकनाचूर कर दिया। इगलाश व जलालपुर सीट छोड़कर सबमें बसपा का प्रदर्शन खराब ही रहा है। नतीजों को देखकर अखिलेश यादव ने भी कह दिया है कि आने वाले चुनावों में सपा अकेले दम पर लड़ेगी।

बसपा की जो हालत हुई है उसको देखते हुए अब बसपा के सामने अपने कोर वोटरों को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है। लोकसभा चुनाव में 10 सीट जीतकर उप्र की राजनीति में पुन: मजबूत हुई बसपा को उपचुनाव किसी झटके से कम नहीं साबित हो रहे हैं। बसपा विपक्ष में नंबर दो की भूमिका आने के लिए जी जान से लगी हुई थी। ऐसे में बसपा का वोट प्रतिशत कम होना और एक भी सीट न मिलना उसे नए सिरे से अपनी रणनीति पर मंथन के लिए मजबूर करेगा।

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