महाराष्ट्र (Maharashtra) की पॉलिटिक्स में शनिवार को जो कुछ भी हुआ वह 13 वर्ष पहले कर्नाटक (Karnataka) में हो चुका है। उस सियासी ड्रामा में एन धरम सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी (Congress)-जेडीएस (JDS) की सरकार रातोंरात गिर गई व देवगौड़ा (HD Deve Gowda) के बेटे के नेतृत्व में जेडीएस से अलग हुए धड़े ने भाजपा (BJP) के साथ मिलकर सरकार बना ली। यह वही भाजपा थी जिसको वह कुछ समय पहले तक अपना शत्रु समझती थी। आज जिस तरह लोग हैरान हैं उसी तरह की स्थिति उस समय कर्नाटक में भी पैदा हुई थी।
उस समय ने मौन धारण कर लिया था सिर्फ उनके विश्वस्त सिपहसालार ही उनकी ओर से लोगों को संक्षिप्त जवाब दे रहे थे। वे दावा कर रहे थे कि उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी ने पार्टी तोड़कर व ‘सांप्रदायिक’ भाजपा के साथ हाथ मिलाकर उनको धोखा दिया है। कुछ दिन बाद उन्होंने सीएम बने अपने बेटे व विद्रोही विधायकों को जेडीएस से निकाल भी दिया था। महीनों तक इस बात से आहत गौड़ा सार्वजनिक रूप से सामने आने व मीडिया से बात करने से कतराते रहे। उनके विश्वस्तों के अनुसार महीनों तक अकेले में वे रोते रहे।–
इन सबसे घबराए बिना, एचडी कुमारस्वाीम व बीएस येदियुरप्पा सरकार ने प्रदेश में शपथ ली व निरंतर बदलते सियासी माहौल में प्रदेश में एक नए सियासी अध्याय की आरंभ की। इस तख़्तापलट में कांग्रेस पार्टी को अपनी सरकार गंवानी पड़ी व उस समय उसने उन सभी बातों पर विश्वास किया जो देवगौड़ा ने उन्हें बताई व यहां तक कि उसने उनके प्रति संवेदना भी जताई।